नोबेल पुरस्कार विजेता आरके पचौरी पर यौन उत्पीड़न का केस
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला)। देश के चोटी के पर्यावरणविद आर.के.पचौरी फंस गए हैं। उन पर उनकी एक सहयोगी ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। पचौरी ने साल 2007 में नोबेल पुरस्कार ग्रहण किया था इस उस संस्था की तरफ से जिससे वे जुड़े हैं। अब मामला पुलिस के सामने है। उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
निर्विवाद रूप से डा. राजेन्द्र पचौरी का देश के पर्यावरण से जुड़े मसलों पर बेबाक राय रखने वालों में सबसे ऊंचा कद है। उनकी पर्यावरण अर्थशास्त्र,, जलवायु परिवर्तन विज्ञान और नीति, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और प्रबंधन, जल संसाधन प्रबंधन जैसे मसलों पर राय को अंतिम माना जाता है।
टेरी स्थापित की
डा. पचौरी की कोशिशों के फलस्वरूप ही टेरी विश्वविद्यालय स्थापित किया गया। टेरी विश्वविद्यालय भारत में अपनी तरह का पहला संस्थान है जो स्थायी विकास के लिए पर्यावरण, ऊर्जा और प्राकृतिक विज्ञान के अध्ययन के लिए समर्पित है। विश्वविद्यालय जैव प्रौद्योगिकी नियामक और नीति पहलुओं, ऊर्जा और पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन में पीएचडी कार्यक्रम प्रदान करता है।
ग्रीन मूवमेंट के जनक
टेरी विश्वविद्यालय की नींव एक प्रमुख गैर लाभ पर्यावरणीय कारणों के लिए समर्पित संगठन के अनुसंधान परामर्श और पर्यावरण संबंधी गतिविधियों द्वारा किये गए एक विस्तार के रूप में पडी थी। डा. पचौरी को भारत में ग्रीन मूवमेंट का भी जनक माना जा सकता है।
पचौरी मानते हैं कि,नदियों को सुरंगों में डालने के कारण पहाड़ का वातावरण शुष्क हो रहा है। जो पानी खुले में बहता था, उसकी नमी से वन, खेती, पशु,मनुष्य सभी लाभान्वित होते थे। नमी के समाप्त होने से वन तथा खेती कालांतर में सूख जाएँगे। सुरंगों के खोदे जाने से सतह का पानी छीज कर नीचे चला जा रहा है और गाँवों के सोते सूख रहे हैं। धरती कई जगहों पर बैठ गयी है और गाँव-घरों में दरारें पड़ गई हैं। 400 मेगावाट की विष्णुप्रयाग विद्युत योजना के ऊपर का चाँईं गाँव मकानों के टूटने तथा दरारें पड़ने के कारण रहने लायक नहीं रह गया है।
उल्लेखनीय काम
75 साल के डा. राजेन्द्र पचौरी जब इंटरगर्वमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) नामक संस्था के चेयरपर्सन थे तब उसे पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर नोबेल पुरस्कार मिला था। अभी तक पर्यावरण से जुड़े मसलों पर अपनी राय रखने वाले पचौरी को अब थानों के चक्कर काटने पडेंगे।