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दिल्ली पुलिस के आंकड़ों ने खोली राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा की पोल

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों ने खोला दिल्ली में महिला की सुरक्षा का दावा, तकरीबन 72 फीसदी मामलों को सुलझाने में पुलिस रही फेल

By Ankur
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नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली अब सिर्फ देश की ही नहीं बल्कि अपराध की भी राजधानी बनती जा रही है। लगातार तीन सालों में दिल्ली में अपराधों की संख्या में कमी होने का नाम नहीं ले रही है। दिल्ली में 2016 में हर चार आपराधिक मामले जो दर्ज हुए उसमें से एक मामला ही दिल्ली पुलिस सुलझा पाती है जबकि अन्य तीन मामलों को सुलझाने में पुलिस विफल रहती है। दिल्ली पुलिस के जो आंकड़ें सामने आए हैं वह दिल्ली की कानून-व्यवस्था की पोल खोलते हैं।

मामले सुलझाने में पुलिस नाकाम

मामले सुलझाने में पुलिस नाकाम

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार देश की राजधानी महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से काफी असुरक्षित जगह बन गई है। हर 9 मिनट पर एक महिला पुलिस हेल्पलाइन को फोन करती है। 2016 में कुल 209519 मामले दर्ज किए गए जिसमें से 153562 यानि 72.29 फीसदी मामलों को पुलिस सुलझाने में फेल रही है। वहीं 2015 के आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली पुलिस 72.78 फीसदी मामलों को सुलझाने में फेल रही थी।

छेड़खानी के मामले बढ़े

छेड़खानी के मामले बढ़े

महिलाओं के खिलाफ जो अपराध के मामले दर्ज हुए हैं उसमें महिलाओं के साथ छेड़खानी का मामला हर दो घंटे में दर्ज किया जाता है, जबकि हर चौथे घंटे में एक महिला के साथ रेप का मामला दर्ज किया जाता है। हालांकि रेप केस के मामले 2016 में पहले की तुलना में कम हुए हैं। 2015 में जहां रेप के कुल 2199 मामले दर्ज हुए थे तो 2016 में 2155 रेप के मामले दर्ज हुए हैं।

क्या कहना है पुलिस कमिश्नर का

क्या कहना है पुलिस कमिश्नर का

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर दीपेंद्र पाठक का कहना है कि पिछले तीन-चार साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पुलिस ने इन मामलों में सक्रियता दिखाई है, महिलाओं को हर शिकायत को दर्ज किया गया है और इसकी गंभीरता से जांच की गई है। यही वजह है कि मामलों की संख्या में इजाफा हुआ है।

चोरी, स्नेचिंग, जेब कटने के मामले बढ़े

चोरी, स्नेचिंग, जेब कटने के मामले बढ़े

अधिकतकर जो मामले सुलझ नहीं सके हैं वह ऐसे मामले हैं जो गलियों में हुए हैं, जिसमें मुख्य रुप से चोरी, चेन स्नेचिंग, जेब कटना आदि अहम हैं। यह अपराध बड़ी संख्या में दर्ज किए गए हैं जो लोगों के लिए मुश्किल का सबब बने हुए हैं। हर छठे मिनट पर कोई ना कोई चोरी का शिकार होता है, वहीं चेन स्नेचिंग की घटना पर नजर डालें तो हर तीस मिनट पर एक चेन स्नेचिंग की घटना दर्ज की जाती है।

क्या कहना है एक्सपर्ट का

क्या कहना है एक्सपर्ट का

दिल्ली में अपराध के इन आंकड़ों पर क्रिमिनल साइकोलोजिस्ट रजत मित्रा का कहना है कि पुलिस के लिए यह काफी जरूरी है कि वह लोगों में भरोसा बढ़ाए और मामलों को सुलझाने में अपनी ताकत झोंके। इन मामलों को सुलझाने से ज्यादा जो जरूरी है वह यह कि पुलिस शिकायतकर्ताओं के साथ किस तरह का व्यवहार करती है। पुलिसकर्मियों का शिकायतकर्ताओं के साथ व्यवहार काफी अहम भूमिका निभाता है। वहीं इस मामले में दिल्ली के पूर्व कमिश्नर अजय राज शर्मा का कहना है कि छोटे मामलों को पुलिस नजरअंदाज करती है, इसकी बड़ी वजह यह होती है कि इसका कोई चश्मदीद गवाह नहीं होता है, ऐसे में इन मामलों की जांच काफी मुश्किल होती है, इन मामलों को सुलझाने का एक ही तरीका है कि क्राइम सीन को अच्छे से समझा जाए।

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English summary
Delhi police data exposes the reality of security of women in the city. Almost 72 percent cases remain unsolved in the capital.
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