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दस्तारबंदीः बुखारी का कार्यक्रम लीगल नहीं लेकिन प्राइवेट है!

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नई दिल्ली। जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी की ओर से अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने पर चल रहे विवाद को हाई कोर्ट ने एक नया मोड़ देते हुए बुखारी को राहत दी है। इस वक्त की बड़ी खबर यह है कि हाई कोर्ट ने राहत देते हुए कहा कि बेटे की दस्तारबंदी करना एक निजी कार्यक्रम है। इससे साफ हो गया है कि अब इमाम बुखारी का बेटा ही घोषित इमाम हो सकता है।

bukhari

कोई कानूनी मान्यता नहीं

हाईकोर्ट के इस निर्णय से संकेत मिले हैं कि बुखारी अपने कार्यक्रम में अपने बेटे को इमाम बनाते हैं इसमें कोई लीगल मान्यता नहीं है। जबकि हाईकोर्ट ने कहा है कि जो दस्तारबंदी है वह एक प्राइवेट कार्यक्रम के तहत आएगा। इसलिए इस कार्यक्रम को रोकना सही नहीं है।

वहीं हाईकोर्ट ने कहा है कि इसमें कोई लीगल सवाल नहीं उठते हैं। इसको देखते हुए दस्तारबंदी इमाम का प्राइवेट कार्यक्रम माना जाएगा।

सरकार ने जताया था विरोध

दिल्ली वक्फ बोर्ड बताए कि अगर यह गलत था तो इतने अर्से तक क्यों नहीं एक्शन लिया गया। गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड और केंद्र सरकार ने दस्तारबंदी को गलत ठहराया था। जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि बुखारी के खिलाफ फैसला आ सकता है। लेकिन इस सोच के उलट फैसला आने से केंद्र सरकार और वक्फ बोर्ड के अलावा विरोधी गुटों को हताशा हाथ लगी है।

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English summary
High court has given relaxation to Imam Bukhari's function to appoint son as next Imam of Jama Masjid.
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