श्रमजीवी एक्सप्रेस ब्लास्ट के मुख्य दोषी को फांसी की सजा
लखनऊ। श्रमजीवी एक्सप्रेस में हुए बम धमाके के दोषी बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद आलमगीर उर्फ रोनी को बीते कल यानि की शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) बुधिराम यादव की अदालत ने फांसी की सजा सुना दी। हालांकि कोर्ट ने शुक्रवार को ही उसे दोषी करार दे दिया था। मां-बाप दोनों नौकरी में तो एक की मृत्यु पर नहीं मिलेगी नौकरी
2 अगस्त को होगा दूसरे आरोपी पर फैसला
दूसरे आरोपी ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई के मामले में अदालत दो अगस्त को अपना फैसला सुनाएगी। इस पूरे मामले में कुल सात आरोपी हैं। इनमें से दो फरार हैं जबकि एक की मौत हो गई है। दो हैदराबाद जेल में बंद हैं और दो के खिलाफ कोर्ट में विचार हुआ है।
एक नजर श्रमजीवी एक्सप्रेस के धमाके के पूरे घटनाक्रम पर
28 जुलाई 2005 को जौनपुर से सुल्तानपुर रूट पर हरिहरपुर रेलवे क्रॉसिंग के नजदीक श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में विस्फोट हुआ। जिसमें 12 यात्रियों की मौत हो गई और 18 घायल हुए। मामले में रेलवे के गार्ड जाफर अली ने जीआरपी थाने में रिपोेर्ट दर्ज कराई। 4 अप्रैल 2006 को दिल्ली की स्पेशल सेल ने दो जुड़वां भाईयों को गिरफ्तार कर इस कांड से पर्दा उठाया।
फैजाबाद का इंतकाम था श्रमजीवी
श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन विस्फोट कांड का खुलासा दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के एसीपी संजीव यादव ने दो जुड़वां भाईयों मुहीबुल मुस्तकीन और अनीसुल मुरसलीम को गिरफ्तार कर किया था। दोनों से पूछतांछ के दौरान पता चला कि आतंकी संगठन हुजी के एरिया कमांडर ओबैदुर्रहमान, मो. आलमगीर, हिलालुद्दीन, नफीकुल विश्वास, मो, शरीफ ने फैजाबाद में मारे गए आतंकियों का इंतकाम लेने के लिए ट्रेन में विस्फोटकी साजिश रची थी।
बांग्लादेश में रची गई थी साजिश
श्रमजीवी में बम धमाके के लिए जुलाई 2005 में धमाके से महज कुछ दिन पहले ही राजशाही...बांग्लादेश के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में साजिश रची गई थी। आरोपियों के बयान के मुताबिक बांग्लादेश के एक ब्यूटीपार्लर में साजिश बनाई गई थी।
हाईकोर्ट जाने की योजना
आतंकी आरोपी आलमगीर के अधिवक्ता श्याम शंकर तिवारी ने कहा कि न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।