2013 में भारत वापस आना चाहता था दाऊद इब्राहिम, मनमोहन सिंह ने नहीं लिया रिस्क
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। जिस अंडरवर्ल्ड डॉन को पकड़ने के लिए देश की सभी एजेंसियां दिन रात एक कर चुकी हैं वहीं मोस्टवांटेड डॉन खुद भारत आना चाहता था। लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने दाऊद को भारत वापस बुलाने का रिस्क नहीं जुटा पाई।
जी हां हम बात कर रहे हैं डी कंपनी के मालिक और भारत के भगाड़े अपराधी दाऊद इब्राहिम की जिसके बारे में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने खबर छापी है जिसमें दावा किया गया है कि दाऊद इब्राहिम साल 2013 में भारत वापस आना चाहता था। पढ़ें: मोदी के एक साल: 'वादे' तमाम लेकिन 'वादों' का काम तमाम
अखबार की मानें तो वर्ष 2013 में कांग्रेस के एक नेता जो खुद एक वकील भी थे, ने अपनी पार्टी को इस बात से अवगत कराया था कि दाऊद इब्राहिम भारत वापस आने का इच्छुक है। इस बात को स्वीकारते हुए पार्टी के दो बड़े नेताओं ने माना कि इस मुद्दे पर पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच वार्ता भी हुई थी। खबर के मुताबिक दाऊद इब्राहिम ने 1993 मुंबई सीरियल बम धमाकों में भारत में कानूनी ट्रायल का सामना करने का मन बनाया था। पढ़ें: अपनी इस मुराद को पूरा करने के लिए दाऊद को भारत में मरना होगा
यूपीए सरकार ने नहीं लिया रिस्क
अखबार के मुताबिक दाऊद के भारत वापस आने के मुद्दे को लेकर उस वक्त यूपीए सरकार में बड़े स्तर पर इस प्रस्ताव पर विचार हुआ लेकिन सरकार ने कोई रिस्क नहीं लिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के बीच भी बात हुई थी।
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कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने इसे 'हॉट पोटेटो' कहते हुए इस मामले से दूर रहने की सलाह सरकार को दी थी। सरकार ने भी कहा था कि यह मामला बहुत गरम है और देश के मोस्ट वांटेट आतंकी के ट्रायल की रिस्क नहीं ली जा सकती। उसकी शर्तों में भी बहुत खतरा है। पढ़ें: Dawood's Biography: दाऊद इब्राहिम की लाइफ हिस्ट्री
किडनी खराब हो गई थी दाऊद की इसलिए आना चाहता था भारत
सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक साल 2013 में दाऊद की तबियत बहुत खराब हो गई थी। कई बार तो ऐसी खबरें सामने आई थी कि दाऊद का बचना मुश्किल है क्योंकि उसका किडनी खराब हो चुका है। बीमारी के बाद दाऊद इब्राहिम अपने परिवार के साथ भारत लौटना चाहता था और बाकी की जिंदगी भारत में ही बिताना चाहता था।
वकालतनामे पर कर चुका था दस्तखत
1993 में जब दाऊद इब्राहिम कथित तौर पर दुबई में था तो उसकी कानूनी टीम ने एक वकालतनामे पर उसके दस्तखत लिए थे। उसकी कानूनी टीम उसे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के लिए एक याचिका तैयार की थी, जिसमें मुंबई धमाकों के ट्रायल को दिल्ली शिफ्ट करने का अनुरोध किया गया था। लेकिन इसके बाद कुछ कानूनी मशविरों के बाद यह याचिका दाखिल ही नहीं की गई।
मुंबई पुलिस पर दाऊद को फंसाने का आरोप
सूत्रों के मुताबिक इस याचिका में दाऊद ने मुंबई पुलिस को आड़े हाथों लिया था। इस याचिका में दाऊद इब्राहिम ने कहा था कि मुंबई बम धमाकों में जान बूझकर उसका नाम घसीटा गया था। दाऊद ने कहा कि जब उसका नाम इस ब्लास्ट में आया तो वो खुद हैरान रह गया था।