नोटबंदी के बाद पेटीएम के चाइना कनेक्शन पर आरएसएस की टेढ़ी नजर
पेटीएम के लिए एक चिंता की बात सामने आई है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बिजनेस विंग अब पेटीएम और उसके चाइनीज कनेक्शन की जांच करेगी।
नई दिल्ली। देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 नवंबर, 2016 को विमुद्रीकरण के फैसले की घोषणा की थी तो इस फैसले का स्वागत करने वालों में सबसे पहले देश के सबसे टॉप के मोबाइल वॉलेट प्रोवाइडर पेटीएम ने इसका स्वागत किया था। इस फैसले के बाद देश के टॉप मोबाइल वॉलेट प्रोवाइडर पेटीएम को सबसे ज्यादा फायदा भी हुआ था।
नोटबंदी के बाद भाजपा सांसद बोले 2000 रुपए का नोट भी होगा बंद
आरएसएस की बिजनेस विंग करेगी जांच
पर अब पेटीएम के लिए एक चिंता की बात सामने आई है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बिजनेस विंग अब पेटीएम और उसके चाइनीज कनेक्शन की जांच करेगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि वो पेटीएम और चीन के ऑनलाइन रिटेल कंपनी अलीबाबा ग्रुप के व्यापारिक रिश्तों का अध्ययन करेगा।
इकॉनामिक टाइम्स की खबर के मुताबिक स्वेदशी जागरण मंच पिछले कई वर्षों से भारत में चीनी सामान और निवेश के खिलाफ अभियान चलाता रहा और पिछले दिनों दीवाली के दौरान उसने अभियान को और ज्यादा तेज किया था।
भारतीयों का डाटा चीन के साथ न हो साझा
मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन के मुताबिक हमने पेटीएम में चीन के निवेश और हिस्सेदारी की खबरें देखी हैं। उन्होंने कहा कि क्योंकि भारत अब कैशलेस ट्रांजैक्शन की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारतीय लोगों की तरफ से साझा किया गया महत्वपूर्ण डाटा सुरक्षित रहे। किसी भी भारतीय कंपनी को विदेशी कंपनियों के साथ अपना डाटा साझा नहीं करना चाहिए और साथ ही निवेश के रास्ते को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
आपको बताते चलें कि अलीबाबा ग्रुप के ग्लोबल प्रबंध निदेशक केगुरु गोरप्पन पिछले महीने पेटीएम के बोर्ड में अतिरक्ति निदेशक के तौर पर शामिल हुए थे। ऐसी भी खबरें आई हैं कि नोएडा की इस ई-कॉमर्स और मोबाइल पेमेंट कंपनी में अलीबाबा और उससे जुड़ी कंपनी अलीपे की 40 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सेदारी है और वह भारतीय बाजार में आने के लिए पेटीएम के जरिए रास्ता चुन सकती है।
पेटीएम के जरिए भारत में चीनी कंपनी कर सकती है इंट्री
इकनॉमिक टाइम्स ने पहले भी खबर दी थी कि पेटीएम 40 करोड़ डॉलर यानी तकरीबन 2,700 करोड़ रुपए जुटाने के अंतिम चरण में है और फंडिंग के इस दौर में अलीबाबा और अलीपे के भी हिस्सा लेने की संभावना है।
महाजन ने बताया कि हम पेटीएम में चीनी कंपनी की तरफ से किए गए निवेश के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा हमारी संस्था मीडिया में प्रकाशित खबरों की सत्यता की पड़ताल भी कर रहे हैं।
महाजन ने कहा कि हमारी कोशिश है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआई की इजाजत सरकार न दे। आपको बताते चलें कि इस बावत जब इकॉनामिक टाइम्स ने पेटीएम को कुछ सवाल ईमेल किए तो उन्होंने इसका कोई भी जवाब नहीं दिया।