एक मां ने पूछा सवाल, जब CRPF का जवान शहीद होता है तो हंगामा क्यों नहीं होता?
रूपा देवी ने बताया कि साल 2013 में जितेंद्र की पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर जिले में सीआरपीएफ के 80वें बटालियन में हुई थी। फिर एक दिन ऐसा आया कि एक जवान मरीज में तब्दील हो गया।
नोएडा। दिवाली के मौके पर नोएडा के प्रकाश अस्पताल में रूपा देवी अपने बेटे जितेंद्र कुमार की हथेली को सहला रही थीं। उनके आंखों में आसू थे। बगल में बैठे सीआरपीएफ के जवान जुगुल किशोर और गुरुदेव उनकी हिम्मत बढ़ा रहे थे। जितेंद्र के सिर पर हाथ फेरते हुए जुगुल किशोर ने कहा कि 'देखिए आपके बेटे ने मौत को मात दे दी, अब वो बातों का जवाब देने लगा है'।
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जी हां ये दर्दनाक कहानी है रूपा देवी की जिनका बेटा जितेंद्र सीआरपीएफ का जवान है और पिछले 30 महीने से अस्पताल में भर्ती है। अपने बेटे की अस्पताल तक पहुंचने की पूरी कहानी बताते हुए रूपा देवी जोर-जोर से रो पड़ीं। उन्होंने बताया कि 6 साल पहले जितेंद्र ने उन्हें बताया था कि उसने सीआरपीएफ की परीक्षा पास कर ली है। रूपा देवी ने जितेंद्र को सीआरपीएफ में जाने से रोका लेकिन उसने कहा कि वो देश की सेवा और रक्षा करना चाहता है।
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रूपा देवी ने बताया कि साल 2013 में जितेंद्र की पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर जिले में सीआरपीएफ के 80वें बटालियन में हुई थी। फिर एक दिन ऐसा आया कि एक जवान मरीज में तब्दील हो गया।
कोमा में हैं जितेंद्र
12 अप्रैल 2014 को माआवादियों ने एक एंबुलेंस को उड़ा दिया। इस घटना में सीआरपीएफ के पांच और मेडिकल टीम के 2 जवानों की मौत हो गई थी। इसी टीम में जितेंद्र भी थे। वो उस हमले में बुरी तरह जख्मी हो गए थे और अबतक कोमे में हैं। ढाई साल हो गए उनकी मां रूपा देवी उन्हें होश में देखने का इंतजार कर रही हैं।
घर में अकेला कमाने वाला था जितेंद्र
जितेंद्र बिहार के मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले हैं। वो अपने परिवार में एक मात्र कमाने वाले थे। जितेंद्र के पिता मजदूरी करते हैं। घर की हालत बताते हुए रूपा देवी ने कहा कि पिछले 30 महीने से अस्पताल का एक कमरा घर बना हुआ है। जितेंद्र के पिता और मैं बारी-बारी से कुछ दिन अस्पताल और कुछ दिन बिहार में रहते हैं। अपने बेटे को अकेले कैसे छोड़ सकती हूं।
सरकार पर उठाया सवाल
रूपा देवी ने सरकार पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया और कहा कि जब सीआरपीएफ का कोई जवान शहीद होता है तो एक भी अवाज सुनाई नहीं देती। सीआरपीएफ के जवान भी देश और देश के लोगों की रक्षा करते हैं। इनका जन्म भी मां की कोख से ही होता है लेकिन कोई कुछ नहीं कहता और ना ही कोई हंगामा होता है।