धमाके में घायल हो गए थे ये CRPF जवान जितेन्द्र कुमार, 30 महीनों से हैं कोमा में
2014 में छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक धमाके में जितेन्द्र कुमार नाम के सीआरपीएफ जवान घायल हो गए थे, जो पिछले 30 महीनों से कोमा में हैं। वह मुश्किल से सिर्फ आंखें ही हिला पाते हैं।
नई दिल्ली। जितेन्द्र नाम का एक सीआरपीएफ कॉन्स्टेबल 2014 में एक धमाके में घायल हो गए थे। जिस समय यह धमाका हुआ था, उस समय वह अपने 5 अन्य साथियों के साथ वैन से जा रहे थे। इसी बीच लैंड माइन में एक ब्लास्ट हो गया और इस धमाके में जितेन्द्र को छोड़कर बाकी पांचों जवानों की मौत हो गई। यह घटना छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में हुई थी। घटना के बाद शुरुआती दिनों में रायपुर के ही एक अस्पताल में उनका इलाज चला, लेकिन इसी साल की शुरुआत में उन्हें नोएडा के प्रकाश अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जितेन्द्र कुमार 28 साल के सीआरपीएफ जवान हैं। वह मुश्किल से सिर्फ अपनी आंखें हिला पाते हैं और 30 महीनों से कोमा में हैं। उन्हें खाना खिलाने के लिए उनके पेट से एक फूड पाइप जोड़ा गया है।
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जितेन्द्र की मां सीआरपीएफ द्वारा दी जा रही मेडिकल सुविधाओं से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा वह चाहती थीं कि उनके बेटे का इलाज एआईआईएमएस में हो, लेकिन वैसा नहीं हो सका। लेकिन जितेन्द्र कुमार कोई पहले ऐसे जवान नहीं हैं। देश के कुल 8 लाख पैरामिलिट्री जवानों में से 3 लाख से अधिक सीआरपीएफ जवान हैं। मेडिकल सुविधाओं की कमी होने के चलते सीआरपीएफ के जवान सरकारी अस्पतालों और कुछ निजी अस्पतालों पर ही निर्भर हैं।
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खतरे में है भविष्य
वर्तमान में जितेन्द्र को हर महीने पूरी सैलरी मिल रही है। उनकी सैलरी 26 हजार रुपए प्रतिमाह है। उनके मेडिकल खर्चों का वहन भी सरकार ही कर रही है। लेकिन जैसे ही वह अस्पताल से डिस्चार्ज होंगे, तो सीआरपीएफ डॉक्टर उनके फिटनेस की जांच करेंगे। इस बात की काफी अधिक संभावना है कि उन्हें अनफिट घोषित कर दिया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो इससे भविष्य में काफी दिक्कतें होने वाली हैं, क्योंकि फिर उन्हें सैलरी नहीं, बल्कि पेंशन मिलेगी और वो भी सिर्फ 16,900 रुपए। आपको बता दें कि जितेन्द्र का एक भाई है और एक बहन है, जो बिहार के मुजफ्फरपुर गांव में रहते हैं। उनके पिता एक किसान हैं। ऐसे में रूपा देवी के लिए उनकी बेटी (20) की शादी कराना सबसे बड़ी चिंता हो जाएगी।
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