युवक को जीप पर बांधने वाले मेजर के खिलाफ सेना ने दिए कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश!
नौ अप्रैल को बडगाम में हुए चुनावों के बाद आया था वीडियो। अब सेना ने दिए हैं आरोपी मेजर के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश। 15 मई तक देनी होगी रिपोर्ट, एक कर्नल स्तर का ऑफिसर करेगा रिपोर्ट तैयार।
नई दिल्ली। पिछले दिनों सेना के उस वीडियो ने एक विवादास्पद स्थिति पैदा कर दी है जिसमें एक कश्मीरी युवक को जीप पर बांधा गया था। अब सेना ने उस मेजर के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दे दिए हैं जिसने ऐसा करने का फैसला किया था। सेना की ओर से इस कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी को कर्नल रैंक का ऑफिसर पूरी करेगा और 15 मई तक इसकी रिपोर्ट देनी होगी।
सीनियर ऑफिसर और सरकार मेजर के साथ
भले ही इस ऑफिसर के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दे दिए गए हों लेकिन सूत्रों की मानें तो न सिर्फ थल सेना, बल्कि वायु सेना और नौसेना के अधिकारी भी उस मेजर का समर्थन कर रहे हैं जिसने यह फैसला लिया था। यहां तक कि सरकार की ओर से भी उस ऑफिसर का समर्थन करने का फैसला किया गया है। सूत्रों के मुताबिक मेजर ने कश्मीरी युवक फारूक अहमद डार को जीप पर बांधने का जो फैसला लिया था, उसे सीनियर ऑफिसर्स सराह रहे हैं। ऑफिसर्स का मानना है कि यह फैसला मेजर की तीव्र सोचने की क्षमता, उनकी मानसिक ताकत के साथ ही खून-खराबे को रोकने के लिए पहल लेने की क्षमता को दर्शाता है। अगर वह ऐसा फैसला न लेते तो शायद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती थी।
अटॉर्नी जनरल ने भी की है तारीफ
इस
मसले
में
जम्मू
कश्मीर
पुलिस
की
ओर
से
केस
दर्ज
किया
जा
चुका
है।
पुलिस
ने
इस
मामले
में
रणबीर
पीनल
कोड
के
तहत
सेना
की
53
राष्ट्रीय
राइफल
यूनिट
पर
धारा
342/149/506
और
367
के
तहत
केस
दर्ज
किया
है।
सरकार
के
अटॉर्नी
जनरल
मुकुल
रोहतगी
ने
कहा
है
कि
कश्मीर
के
बडगाम
में
यह
फैसला
लेने
वाले
मेजर
की
प्रशंसा
होनी
चाहिए
न
कि
उनकी
आलोचना।
मुकुल
रोहतगी
के
मुताबिक
सेना
घाटी
में
इन
दिनों
बहुत
दबाव
में
काम
कर
रही
है।
आपको
बता
दें
कि
सेना
के
मेजर
ने
रक्षक
वाहन
पर
एक
युवक
को
बांधने
का
आदेश
दिया
था
ताकि
सेना
की
पांच
गाड़ियों
का
काफिला
वहां
से
सुरक्षित
निकल
सके।
अटॉर्नी
जनरल
ने
कहा
कि
सेना
के
जवानों
को
उनके
काम
करने
तरीकों
को
लेकर
पूरी
तरह
से
ट्रेनिंग
दी
जाती
है
और
वे
अपने
हर
एक्शन
के
लिए
खुद
जिम्मेदार
होते
हैं।
मिलिट्री
ऑपरेशंस
को
कभी
भी
सोशल
मीडिया
पर
बहस
का
मुद्दा
नहीं
बनाना
चाहिए।
सेना
हमारी
सीमाओं
की
सुरक्षा
में
दिन-रात
तैनात
रहती
है।