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मेरठ में 43 लोगों के नरसंहार का अब कभी पता नहीं चलेगा, सभी आरोपी बरी
दिल्ली। बहुचर्चित मेरठ नरसंहार मामले में दिल्ली की हजारी कोर्ट ने 28 वर्ष पुराने इस दंगे में 16 आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। इस मामले में 19 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिसमें से 3 की मौत हो चुकी है।
क्या
है
1987
का
मेरठ
दंगा
के
तथ्य
एक
नजर
में
- 22 मई 1987 को मेरठ में मेरठ सांप्रदायिक दंगे भड़के थे जिसमें कई लोग मारे गये थे।
- एक विशेष संप्रदाय के करीब 600 लोगों को यूपीपीएसी के जवानों ने हिरासत में लिया था
- अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय जिंदल ने पीएसी के 16 कर्मचारियों को हत्या, हत्या के प्रयास, सबूतों से छेड़छाड़ तथा साजिश के आरोपों से बरी कर दिया।
- सुरेश चंद शर्मा, निरंजन लाल, कमल सिंह, रामबीर सिंह, समी उल्लाह, महेश प्रसाद, जयपाल सिंह, राम ध्यान, श्रवण कुमार, लीला धर, हमबीर सिंह, कुंवर पजल सिंह, बुद्धा सिंह, बुद्धि सिंह, मोखम सिंह तथा बसंत बल्लभ आरोपों का सामना कर रहे थे। जिन्हें बरी कर दिया गया है।
- इनमें से 43 लोग कभी वापस नहीं लौटे। वहीं इन 43 लोगों का आजतक कोई अता-पता भी नहीं है।
- पीएसी के जवानों पर इन 43 लोगों की हत्या का आरोप था। आरोप ये भी है कि जवानों ने इन लोगों की हत्या करके उन्हें गंगनहर में फेंक दिया था।
- आरोपी जवान पीएसी की 41वीं बटालियन के थे। यह बटालियन गाजियाबाद की है।
- इस मामले में 19 जवानों को आरोपी बनाया गया जिनमें से तीन की मृत्यु पहले ही हो चुकी है।
- सीआईडी की क्राइम ब्रांच ने 1988 में इस मामले की जांच शुरु की थी।
- 2002 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर यह केस दिल्ली ट्रांसफर हुआ था।
- उसके बाद से लगातार इस मामले की सुनवाई चली।
- 21 जनवरी को विशेष अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित कर लिया था।
- आज कोर्ट ने सभी16 आरोपी पीएसी के जवानों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
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English summary
Court grants bail to all 16 accuse of Merrut Riot 1987, all accused gets freedom in lack of evidence.
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