नए चीफ जस्टिस का अहम बयान, जरूरत पड़ी तो कोर्ट बुला सकता है सेना
नई दिल्ली। देश के वर्तमान चीफ जस्टिस एचएल दत्तू दिसंबर में रिटायर हो जाएंगे और उनके बाद जस्टिस टीएस ठाकुर देश के 43वें चीफ जस्टिस का जिम्मा संभालेंगे। इस पद की जिम्मेदारी लेने से पहले ही उन्होंने एक अहम बयान दिया है।
जस्टिस ठाकुर और पीसी पंत की एक बेंच ने तमिनलाडु सरकार की एक अपील को मानने से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि न्यायपालिका और इसकी मर्यादा को बचाने के लिए वह सेना को बुलाने जैसा कोई भी कदम उठा सकते हैं।
तमिलनाडु सरकार ने चेन्नई और मदुरै हाईकोर्ट परिसर में सीआईएसएफ के फैसले पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा था कि राज्य की पुलिस कोर्ट परिसर में वकीलों और उनके परिजनों द्वारा उप्रदव और हंगामे को रोकने में नाकाम रही है
और सीआईएसएफ के सुरक्षा में तैनात करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के वकीलों ने तमिल को अदालत की आधिकारिक भाषा बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी और जजों के घेराव किया था और परिजनों को लेकर कोर्टरूम में घुस गए थे।
राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील एल नागेश्वर राव ने कहा कि कोर्ट से पुलिस सुरक्षा हटाना अहम फैसला है और इससे पुलिस के मनोबल पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना वकीलों के अनियंत्रित व्यवहार को रोकना संभव नहीं था।
जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और क्या कर सकते थे। अगर वकील कोर्ट को नहीं चलने देंगे तो हाईकोर्ट क्या कर सकता है। हमें सुनिश्चित करना है कि संस्था का सम्मान और स्वरूप बरकरार रहे।
इसके बाद सरकार के वकील ने सवाल किया कि पुलिस की असफलता के बाद अगर सीआईएसएफ आई तो हालात बदतर हो जाएंगे।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि यदि सीआईएसएफ या अर्धसैनिक बल स्थिति पर नियंत्रण नहीं कर पाए तो हाईकोर्ट फैसला करेगा कि सीआरपीएफ या बीएसएफ को बुलाना है या सेना को। सीआईएसएफ तो पहला कदम है।