कश्मीर के कांग्रेसी नेता क्यों भागे, सीएम उमर डरे
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने आगामी जम्मू -कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। उनसे पहले सैफुद्दीन सोज ने चुनाव ना लड़ने का बहाना बना दिया। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तय किया है कि वे दो सीटों से किस्मत चुनाव लड़ेंगे।
जानकारों का कहना है कि बहुत साफ है कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं को समझ आ रहा है इस बार हवा का रुख किस तरफ जम्मू-कश्मीर में बहेगा।
उमर दो सीटों से लड़ेंगे
उमर अब तक उमर गांदरबल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन उमर ने इस बार सोनबार और बीरवाह सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने राज्य में सरकार के खिलाफ चल रही चुनावी हवाओं के रूख को समझने के बाद ही यह फैसला लिया है। दूसरी ओर भारत-पाक सीमा पार से अशांति की आशंका को देखते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार जम्मू जिले में सीमारेखा के साथ पडऩे वाले 125 मतदान केंद्रों को सुरक्षित जगह पर फिर से स्थापित करेगी ताकि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग मतदान कर सकें।
इस बीच,जम्मू के जिला निर्वाचन अधिकारी अजीत कुमार साहू ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बने 125 मतदान केंद्रों को जम्मू जिले के सुरक्षित स्थानों पर दोबारा स्थापित किया जाएगा।' उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बने 150 मतदान केंद्रों पर सीमा पार से व्यवधान पैदा किए जाने की आशंका है। चुनाव प्रबंधों का जायज़ा लेने के लिये चुनाव आयोग 10 और 11 नवंबर को राज्य का दौरा भी कर सकता है।
इस साल अक्तूबर के शुरूआती 15 दिनों में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी की वजह से जम्मू, सांबा और कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बनीं छोटी बस्तियों में 10 लोग मारे गए थे और 90 से ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए थे।
पाकिस्तान की ओर से की जा रही इस गोलीबारी के कारण पैदा हुए डर के चलते राज्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रह रहे 32 हजार से ज्यादा लोगों को यहां से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बने अन्य मतदान केंद्रों के लिए भी संकट की स्थिति में वैकल्पिक केंद्रों की पहचान की गई है। जम्मू-कश्मीर में पांच चरणीय विधानसभा चुनाव 25 नवंबर और 2, 9 14 और 20 दिसंबर को होने हैं।