ईसाई से वापस हिंदू बन भी गये तो किस कौम में गिना जायेगा मुझे?
बांदा। ‘धर्मांतरण' या ‘घर वासपी' के मामले को लेकर सदन से लेकर सड़क तक मचे बवाल के बाद अब वह लोग भी अपनी प्रतिक्रिया देना शुरु कर दिये हैं, जो हिन्दू धर्म त्याग कर अन्य धर्म ग्रहण कर चुके हैं। इन्हीं में से एक विलियम हैं। विलियम का कहना है कि हिन्दू धर्म में वापसी के बाद ऐसे लोगों को किस कौम में गिना जाएगा? क्या अछूत की त्रासदी से मुक्त हुए लोगों को हिन्दू धर्मावलंबी फिर से ‘अछूत' बनाएंगे?
बुंदेलखंड़ क्षेत्र के बांदा जिले के बदौसा में रहने वाले विलियम सिंह के पिता एक सरकारी अध्यापक रहे हैं। धर्मांतरण से पूर्व उनका ताल्लुक हिन्दू धर्म में आने वाली अनुसूचित वर्ग की एक कौम से था। ऊंच-नीच के भेदभाव की त्रासदी से त्रस्त होकर उनका पूरा कुनबा 20-25 साल पहले हिन्दू धर्म त्याग कर ‘ईसाई' धर्म स्वीकार कर लिया था। हिन्दू धर्म त्यागने के पीछे की वजह बताते हुए विलियम कहते हैं कि उनके पिता सरकारी अध्यापक के अलावा एक अच्छे आर्टिस्ट थे, आस-पास के घरों में होने वाले शादी-विवाह में लोग उन्हें घर-आंगन की रंग-रोगन के लिए बुलाया करते थे।
ईसाई बनने से पहले हमें अछूत मानते थे लोग
वह बताते हैं, "पड़ोस में एक उच्च वर्ग के घर लड़की की शादी में उनके पिता को सजावट के लिए बुलाया गया था, दिनभर काम निपटाने के बाद उन्हें भोजन ‘अछूत' मानकर घर से बाहर गंदी जहग में दिया गया था।" बकौल विलियम, "पिताजी भोजन छोड़कर अपने घर चले आए और वहीं हिन्दू धर्म त्यागने का संकल्प ले लिया।' विलियम बताते हैं कि ‘उनका पूरा परिवार अब सामान्य वर्ग की श्रेणी में आता है और हिन्दू धर्म के उच्च वर्गीय वही लोग अपनी ही ‘पंगत' यानी बराबरी में भोजन कराते हैं।"
कुछ हिन्दूवादी संगठनों द्वारा ‘धर्मांतरण' या ‘घर वापसी' के चलाए जा रहे अभियान पर विलियम कहते हैं कि ज्यादातर अनुसूचित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले परिवारों ने हिन्दू धर्म त्याग कर अन्य धर्म अपनाया है। वह सवाल करते हैं कि कथित तौर पर घर वासपी करने वाले परिवारों को उच्च वर्गीय हिन्दू धर्मावलंबी किस कौम में गिनेंगे? क्या ऊंच-नीच के भेदभाव से मुक्त हुए लोगों को फिर से ‘अछूत' बनाएंगे?