7वें वेतन आयोग का कमाल, राष्ट्रपति से ज्यादा सीएम की सैलरी
मुंबई। सातवां वेतन आयोग आने के बाद वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर जहां सरकारी कर्मचारियों में कुछ खुशी...कुछ नाराजगी है, वहीं इस वेतन आयोग ने कुछ अजीबो-गरीब और उलझन भरे बदलाव भी कर दिए हैं। बदलाव भी ऐसे-वैसे नहीं, सीधे मुख्यमंत्री और राज्यपाल की तनख्वाह से जुड़े।
राज्यपाल का पद संवैधानिक तौर पर भले ही राज्य में सबसे बड़ा होता है लेकिन राज्यों में इस वेतन आयोग के लागू होने के बाद महाराष्ट्र में उनकी सैलरी उनके सचिव से भी काफी कम हो जाएगी। सैलरी की ये विसंगति सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती..., सातवें वेतन आयोग के लागू होते ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की तनख्वाह देश के राष्ट्रपति से भी ज्यादा हो जाएगी।
राज्यपाल की सैलरी 1.1 लाख, सचिव की 1.44 लाख
राज्यों में सातवां वेतन आयोग लागू होते ही यह बदलाव भी लागू हो जाएगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों की सैलरी में बढ़ोत्तरी की थी। 7वें वेतन आयोग के बाद राज्यपाल सी विद्यासागर राव पहले की तरह 1.1 लाख रुपए महीना तनख्वाह ही लेते रहेंगे, जबकि राज्य के मुख्य सचिव की सैलरी 2.25 लाख और राज्यपाल के अपने सचिव की सैलरी 1.44 लाख हो जाएगी। ये दोनों सचिव स्तर के पद आईएएस कैडर से जुड़े हैं।
राष्ट्रपति की तनख्वाह 1.5 लाख, फडणवीस की 2.25 लाख
इनसे अलग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की एक महीने की सैलरी 2.25 लाख रुपए हो जाएगी, जबकि देश के राष्ट्रपति की तनख्वाह पहले की तरह 1.5 लाख रुपए ही रहेगी। वेतन आयोग की सिफारिशों का विश्लेषण करने वाले एक वरिष्ठ नौकरशाह ने बताया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों की तनख्वाह 2008 में तय की गई थी, जिसके मुताबिक उपराष्ट्रपति की एक महीने की सैलरी 1.25 लाख रुपए है।
हाल ही में बढ़ी थी महाराष्ट्र में विधायकों की सैलरी
वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सचिव स्तर के अधिकारी की तनख्वाह 1.44 लाख रुपए, प्रधान सचिव की तनख्वाह 1.82 लाख रुपए और अपर मुख्य सचिव की सैलरी 2.05 लाख रुपए प्रति महीना है। महाराष्ट्र विधायिका के हाल ही में लिए गए एक फैसले के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्री, नेता विपक्ष और विधायिका के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी की तनख्वाह मुख्य सचिव के बराबर हो जाएगी।
राज्य पर पड़ेगा कर्ज का सबसे ज्यादा बोझ
यहां सबसे बड़ी बात यह है कि वेतन में इस वृद्धि के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक देश पर पड़ने वाले कुल कर्ज के बोझ (3.79 लाख करोड़) में अकेले महाराष्ट्र सरकार पर सालाना 21 हजार करोड़ रुपए का बोझ बढ़ जाएगा, जो किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा है।
महाराष्ट्र विधानसभा में विधायकों की वेतन वृद्धि का विरोध करने वाले एकमात्र विधायक कपिल पाटिल कहते हैं कि जब राज्य में शिक्षक बिना किसी वेतन बढ़ोत्तरी के 15 साल से नौकरी कर रहे हैं तो ऐसे में विधायकों की तनख्वाह बढ़ाना गलत है। शिक्षकों के पेंशन लाभ को भी 2005 में रोक दिया गया।