क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जियो की एंट्री के बाद अब भारत में बचेंगी सिर्फ 4 टेलीकॉम कंपनी!

जिस तरह से जियो ने टेलीकॉम सेक्टर में बड़ी क्रांति लाया है वह अन्य कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।

By Ankur
Google Oneindia News

नई दिल्ली। भारत के भीड़-भाड़ भरे दूरसंचार के क्षेत्र में लगातार मजबूती होती दिख रही है। यह इस सेक्टर कि परिपक्वता को दर्शाता है। जिस तरह से पिछले कुछ सालों में तमाम टेलीकॉम कंपनियों का अधिग्रहण हुआ है, वह इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रतिस्पर्धा के दौर में तमाम कंपनियों का खुद के अस्तित्व को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

इसे भी पढ़ें- कैसे करें जियो फोन के लिए रजिस्ट्रेशन, ये है सही तरीका

टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस की एंट्री

टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस की एंट्री

टेलीकॉम सेक्टर की मजबूती की यह प्रक्रिया तब शुरू हुई जब आज से 15 महीने पहले रिलायंस टेलेकम्युनिकशन्स ने एमटीएस नाम की कंपनी का अधिग्रहण कर लिया था। उसके बाद रिलायंस कम्युनिकेशंस ने ही एयरसेल को भी खरीदने की बात की थी। यही नहीं भारती एयरटेल भी टेलीनॉर का अधिग्रहण करने की तैयारियों में लगा हुआ है। इसके अलावा आईडिया और वोडाफोन भी एक होने जा रहे हैं। यह कोई महज इत्तेफाक नहीं है। इस विलय और अधिग्रहण की प्रक्रिया और पिछले साल सितंबर माह में रिलायंस जिओ की एंट्री को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है।

Recommended Video

Jio Phone: How you can get Jio 4G Smartphone; Know here | वनइंडिया हिन्दी
अन्य कंपनियों के लिए आसान नहीं सफर

अन्य कंपनियों के लिए आसान नहीं सफर

जिओ की एंट्री के बाद, उसकी बेहद कम कीमतों को बनाए रखने की नीति की वजह से बाकी कंपनियों के आगे मुसीबत खड़ी हो गई है। एक तरफ लगातार कम होते ग्राहकों के कारण, उनके मुनाफे में भारी कमी आई है तो दूसरी तरफ कारोबार करने के मकसद से लिए गए ऋण को वापस लौटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने अभी कुछ दिनों पहले कहा था कि पूँजी पर होने वाला मुनाफा इतना कम हो गया है कि यदि निवेशक बैंक में अपना पैसा जमा करके गोल्फ खेलने चले जाएं तो भी उनको इस सेक्टर के मुकाबले ज़ादा लाभ होगा।

तमाम कंपनियों के अधिग्रहण का दौर शुरू

तमाम कंपनियों के अधिग्रहण का दौर शुरू

यह स्थिति आज से 5 साल पहले की स्थिति से काफी अलग है जब 12 प्राइवेट कंपनियां और दो सरकारी कंपनियां बीएसएनएल, एमटीएनएल करीब 89 करोड़ ग्राहकों को लुभाने की होड़ में शामिल थीं। लेकिन अब जब कुल ग्राहक 110 करोड़ से ज्यादा हो चुके हैं, जिओ को मिलाकर प्राइवेट कंपनियां कुल 10 ही बची हैं। जिओ के अलावा बची 9 कंपनियों में से 7 कंपनियां विलय और अधिग्रहण की वार्ता में लगी हुई हैं।

सिर्फ 4 कंपनियों रह जाएंगी बाजार में

सिर्फ 4 कंपनियों रह जाएंगी बाजार में

ऐसे में इन कंपनियों के अधिग्रहण की प्रक्रिया के बाद कुल 4 ही बड़ी कंपनियां बची रह जाएंगी जोकि सरकार और इस सेक्टर दोनों के लिए एक खुशखबरी है। फिर भी सिर्फ कंपनियों के बड़े होने से उसके अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी नहीं मिलती है खासकर ऐसे मौजूदा वक्त में जब उनमें बाजार के बड़े हिस्से को हथियाने के लिए भयंकर जंग चल रही हो।

सरकार के सामने है चुनौती

सरकार के सामने है चुनौती

कुछ दिनों पहले टेलीकॉम कमीशन ने ट्राई को इस क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने के निर्देश दिए थे। यह मुद्दे की गंभीरता के साथ-साथ सरकार की सक्रियता को भी दर्शाता है। आखिरकार सस्ती सर्विसेज से ग्राहकों को भले ही फायदा पहुंचे परंतु टेलीकॉम कंपनियों को इससे सिर्फ नुकसान ही हाथ लगेगा, फिर चाहे वह कंपनी कितनी ही बड़ी क्यों ना हो। इसकी वजह से सरकारी राजस्व के कम होने का भी खतरा होता है। जो लाइसेंस शुल्क और कॉर्पोरेट टैक्स के जरिए सरकार को मिलता है। यह चिंता टेलीकॉम कमीशन ने अपने ट्राई को दिए निर्देश में भी जताई है। आखिरकार ऐसी मुर्गी को मारने से भला किसका फायदा जो रोज एक सोने का अंडा देती हो।

Comments
English summary
Challenges for telecom sector in India after Reliance Jio entry.How Jio emergence can prove to be a challenge for the telecom sector in India. It is a big challenge for the sector to compete.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X