संविधान को दरकिनार कर हो रही भर्तियां, कानून मंत्रालय ने दी केंद्र सरकार को अहम सलाह
कानून मंत्रालय की सलाह के बाद अब केंद्र सरकार सार्वजानिक उपक्रम और बैंकों में होने वाले कैंपस भर्तियों को अब बंद कर देगा।
नई दिल्ली। कानून मंत्रालय की सलाह के बाद अब केंद्र सरकार सार्वजानिक उपक्रम और बैंकों में होने वाले कैंपस भर्तियों को अब बंद कर देगा।
सुप्रीम कोर्ट और संविधान के खिलाफ
कानून मंत्रालय ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि इस तरह की भर्तियां सीधे तौर पर संविधान का उल्लंघन है। साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के खिलाफ है। कानून मामले मंत्रालय ने मद्रास हाईकोर्ट के 7 सितंबर, 2015 के फैसले का हवाला देते कहा है कि इस तरह की भर्तियां पूरी तरह से गैर संवैधानिक हैं। निर्णय में कहा गया था कि सरकारी नौकरियों को असंवैधानिक तरीके से भरे जाने पर सवाल उठाए थे। साथ ही नौकरियां देने में भेदभाव भी बताया गया था।
बेस्ट टैलेंट को खोजने की कोशिश
तब हाईकोर्ट के निर्णय के बाद देश के प्रीमियम प्राइवेट कॉलेज में होने वाले इस तरह के प्लेसमेंट पर रोक लगा दी गई थी। पर देश के सरकारी संस्थानों को इस निर्णय से बाहर रखा गया था। सिंतबर 2015 में मद्रास हाईकोर्ट ने उस तर्क का खारिज कर दिया था जिसमें कहा गया था कि कैंपस प्लेसमेंट के जरिए बेस्ट टैलेंट को खोजने की कोशिश की जाती है।
कैंपस इंटरव्यू लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन
समय के अनुसार ही इस प्रक्रिया को अपनाया गया है जिससे बेस्ट टैलेंट मल्टीनेशनल और प्राइवेट फर्म में जाने से पहले ही हमारे पास आ जाएं नहीं तो उनके वहां जाने का रास्ता खुला है। अब कानून मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 141 का हवाला देते हुए कहा कि कैंपस इंटरव्यू लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हैं।
अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 का उल्लंघन
आपको बताते चले कि अगस्त 2013 में उस याचिका को खारिज कर दिया गया था जिसमें सरकारी नौकरियों को लोगों के आवेदन मंगाकर भरे जाने पर सवाल उठाए गए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कैंपस इंटरव्यू अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है। आपको बताते चले कि देश की सार्वजानिक उपक्रम की कंपनियां और बैंक मिडल लेवल पर अधिकारियों की भर्तियां सीधे जाकर कैंपस प्लेसमेंट के जरिए टॉप इंजीनियरिंग और बिजनेस स्कूल से कर लेती थीं।