सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष, तीन तलाक इस्लाम का बुनियादी हिस्सा नहीं
एजी मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि तीन तलाक इस्लाम का एक बुनयादी हिस्सा नहीं रहा है।
नई दिल्ली। तीन तलाक पर चल रही सुनवाई के पांचवे दिन बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। अटोर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का बुनियादी हिस्सा नहीं है इसलिए इसे खत्म किया जाए।
सिर्फ पुरानी प्रथा होने की वजह से जारी नहीं रख सकते
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर केंद्र की ओर से एजी ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि तीन तलाक को अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि यह सदियों से अभ्यास में रहा है। एजी मुकुल रोहतगी ने कहा कि तलाक निश्चित रूप से इस्लाम का एक जरूरी हिस्सा नहीं रहा है। अदालत में इसे जारी रखने की अनुमति सिर्फ इसलिए नहीं दी जा सकती कि वह 1400 साल पुरानी परंपरा है।
सती प्रथा खत्म हुई तो तीन तलाक क्यों नहीं
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि एक समय सती प्रथा और देवदासी जैसी कुप्रथा हिंदू धर्म में थीं लेकिन इन्हें खत्म किया गया। हालांकि इस पर मुख्य न्यायाधीश ने उनसे कहा कि कोर्ट ने इनमें से किसी को भी खत्म नहीं किया बल्कि इन सबको कानून बनाकर खत्म किया गया।
ये मुस्लिम समुदाय के अंदर का टकराव
अटॉर्नी जनरल रोहतगी कहा कि तीन तलाक को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की तरह से नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि ये टकराव मुस्लिम समुदाय में ही महिलाओं और पुरुषों के बीच है।
क्या बोले सिब्बल
वहीं तीन तलाक परऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि मुस्लिम महिलाओं को निकाह के वक्त ही तीन तलाक के लिए इनकार करने का विकल्प दिया जा सकता है? निकाह के वक्त ही काजी महिला को ये विकल्प दे कि वह निकाह में तीन तलाक को मना करने को कह सकती है। सुप्रीम कोर्ट में 11 मई से ही तीन तलाक पर बहस चल रही है।
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