स्यापा जारी गजेन्द्र की मौत पर, हो सीबीआई जांच
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) बुधवार को राजस्थान के गजेन्द्र सिंह ने जंतर-मंतर पर सबके सामने खुदकुशी कर ली। वहां पर आम आदमी पार्टी की सभा चल रही थी। अब सब राजनीतिक दल गजेन्द्र की मौत पर स्यापा कर रहे हैं। राजनीति भी चालू हो गई है। बेहतर होगा कि सारे मामले की सीबीआई से जांच हो जाए। जांच से ही पचा चलेगा कि गजेन्द्र की मौत की असली वजह क्या थी? उसने क्यों की आत्महत्या... उसके सामने क्या थे मसले? इन और दूसरे सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
बहरहाल,आम आदमी पार्टी की किसान रैली में जिस तरह राजस्थान के दौसा निवासी 'किसान गजेन्द्र' ने आत्महत्या की, वो किसी भी संवेदनशील इंसान के लिए झकझोर देने वाली घटना है।
भाषण देते रहे कुमार विश्वास
बड़े शर्म की बात है की उस किसान के फंदे पर झूलने के बाद भी कुमार विश्वास जैसे नेता भाषण देते रहे, खुद को आम आदमी के पैरोकार कहने वाले अरविन्द केजरीवाल ने रैली चलते रहने की इजाज़त दी ! सवाल ये है की अगर अरविन्द या कुमार विश्वास के घर का कोई इसी तरह फांसी पर लटका होता तो क्या वो रैली करते? क्या वो उसके साथ एम्बुलेंस पर नहीं जाते???
जवाब दें राजे
सवाल भाजपा पर उठाना लाजिमी है की राजस्थान में इतनी बुरी हालत क्यों है...वहां की मुख्यमंत्री वसुंधराराजे, जो किसी महारानी से कम नहीं है,उनका ध्यान कहाँ है? सवाल इस देश के हर चोर,कपटी और मक्कार नेता से है जिन्होंने देश के अन्नदाता की हालत जानवरों से भी बदतर बना दी है पर हाँ, कांग्रेस से कोई सवाल नहीं है क्योंकि सब जानते हैं की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से देश की बर्बादी का अगर कोई ज़िम्मेदार है तो वो है कांग्रेस...इस कांग्रेस रुपी एड्स का दफन होना ज़रूरी है...हाय रे राजनीति।
एक बात तो है कि पेड़ पर चढ़े व्यक्ति के हावभाव से आरंभ में नहीं लग रहा था कि वह आत्महत्या करेगा। लेकिन वैसे माहौल में जहां भीड़ हो कई बार ऐसा व्यक्ति अनपेक्षित कर जाता है। कोई भी कह सकता है कि उसकी जान आसानी से बचाई जा सकती थी।
मंच पर चढ़े
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जब भाषण देने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने कहा कि हमलोगों की आंखों के सामने वे मंच पर चढ़ें। हम पुलिस से आग्रह करते रहे कि बचा लीजिए। पुलिस हमारे कंट्रोल में नहीं है, लेकिन भगवान के कंट्रोल में तो है। खैर, दोष मढ़ना और इतना लंबा भाषण देना ही उनकी अमानवीयता का प्रमाण देता है।