अब पूछी-बताई जाती गांधी,दिनकर जैसे नायकों की जाति
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) रामधारी सिंह दिनकर जी को लेकर शुक्रवार को राजधानी में भव्य समारोह हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने जातीयता के खिलाफ दिनकर जी की एक चिट्टी को हवाला देते हुए काफी अच्छा बोला। लेकिन इसी समारोह में कई स्तरों पर बताया जाता रहा कि वे भूमिहार थे।
जाति से सरोकार
क्या राष्ट्रकवि की जाति से किसी को कोई सरोकार होगा। कतई नहीं। पर अब देश के नायकों की जातियां बताई जा रही हैं। राजधानी के ही मावलंकर हाल में वैश्य समुदाय के एक समारोह का बैनर देखा, उस पर गांधीजी का फोटो लगा था। तो दिनकर भूमिहार और गांधीजी वैश्य।
शासन नहीं चला सकते
बहरहाल, प्रधानंमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को उद्धृत करते हुए अगर यह कहा कि आप एक दो जातियों के सहारे शासन नहीं चला सकते तो इसमें गलत क्या है? दिनकर जी के समारोह में उनको उद्धृत करके बिहार को याद दिलाना कि आपके एक मनीषी ने आज से पांच दशक पूर्व यह लिख दिया था। बावजूद इसके बिहार जाति समीकरण के आधार पर राजनीति का अखाड़ा बन गया।
दिनकर के नाम पर राजनीति
लेकिन कुछ लोगों को इसमें भी समस्या नजर आ रही है। बड़ी विचित्र बात है। वरिष्ठ चिंतक अवधेश कुमार कहते हैं कि आलोचकों की बात मान भी लें कि भाजपा दिनकर जी के नाम पर राजनीति कर रही है तो इसमें समस्या क्या है? यह तो अच्छी बात है कि एक महान कवि, महान लेखक, विचारक का नाम लेकर राजनीति हो। आखिर अगर दिनकर जी का नाम लिया जाएगा तो उसका कुछ असर लोगों के मन पर पड़ेगा।
वे मानते हैं कि राजनीति का क्षरण ही इसलिए हुआ, क्योंकि हमारे देश में महापुरुषों को, महान कवियों को, रचनाकारों को, विचारकों को, चिन्तकों को तो किताबी विषय बना दिया गया और राजनीति उससे बिल्कुल अलग हो गई।अगर दिनकर जी का नाम लिया जाता है तो उनकी रचनाओं की भी चर्चा होगी, उनके कथनों की भी चर्चा होगी और उसका कुछ असर अवश्य होगा।