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नरेंद्र मोदी को रोकने में विपक्ष का कौन सा नेता होगा कामयाब?

भारतीय राजनीति में सिर्फ एक ही सवाल उठा रहा है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के स्‍टार प्रचारक नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए आखिर विपक्ष का कौन का नेता सामने आ पाएगा।

By Sachin Yadav
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नई दिल्‍ली। पांच राज्‍यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा के चार में सत्‍ता में काबिज होने पर अब भारतीय राजनीति में सिर्फ एक ही सवाल उठा रहा है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के स्‍टार प्रचारक नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए आखिर विपक्ष का कौन का नेता सामने आ पाएगा। एक तरफ भाजपा के पक्ष में लोग कर रहे हैं कि पीएम मोदी को अब साल 2024 तक सत्‍ता से दूर नहीं किया जा सकता है तो वहीं विपक्ष का कहना है कि नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए महागठबंधन बनाना होगा। ऐसे में हम आपके सामने रख रहे हैं जो मजबूत विपक्ष के तौर पर उभर कर नरेंद्र मोदी को आगे बढ़ने से रोक सकते हैं।

ब भारतीय राजनीति में सिर्फ एक ही सवाल उठा रहा है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के स्‍टार प्रचारक नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए आखिर विपक्ष का कौन का नेता सामने आ पाएगा।

नीतीश कुमार की छवि भी काफी हद तक कारगर

नीतीश कुमार की छवि भी काफी हद तक कारगर

नीतीश कुमार एक ऐसा नाम है जिसको महागठबंधन में प्रधानमंत्री के नाम के तौर पर आगे बढ़ाया जा सकता है। पर कांग्रेस को इससे ऐतराज हो सकता है। क्‍योंकि वो खुद राहुल गांधी को बतौर प्रधानमंत्री प्रोजेक्‍ट करना चाहती है। नीतीश कुमार के पास छात्र राजनीति, आंदोलनों, राज्‍य और केंद्र तक की राजनीति का अनुभव है। बिहार में भाजपा का विजय रथ रोकने में नीतीश कुमार की छवि भी काफी हद तक कारगर रही थी। नीतीश कुमार रेल मंत्री से लेकर बिहार के मुख्‍यमंत्री पद तक अपनी छाप छोड़ चुके हैं। कुशल वक्‍ता होना और वाकपटुता उनके पक्ष में जाती है। बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान जब चुनावी रैलियों में पीएम मोदी बिहार की सरकार को घेरने को काम करते तो शाम को वो सिर्फ एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करके सारे दावों की हवा निकाल देते। बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के सहयोगी लालू प्रसाद यादव भी उनके प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार होने की बात कह चुके हैं। ऐसे में पीएम मोदी के खिलाफ सबसे सफल प्रतिद्वंदी नेता नीतीश कुमार हो सकते हैं। आपको बताते चले कि कभी एनडीए सरकार में रेल मंत्री रहे नीतीश कुमार पीएम मोदी की तारीफ करने का मौका नहीं छोड़ते हैं। नोटबंदी के फैसले को लेकर उन्‍होंने पीएम मोदी की तारीफ की थी।

धीरे-धीरे खत्‍म हो रही कांग्रेस को फिर से जिंदा करना होगा

धीरे-धीरे खत्‍म हो रही कांग्रेस को फिर से जिंदा करना होगा

कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी अपनी मां और कांग्रेस अध्‍यक्षा सोनिया गांधी की तरह कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं। राहुल गांधी मेहनत कर रहे हैं। लोकसभा चुनावों से लेकर यूपी विधानसभा चुनावों तक वो लाखों लोगों से प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष तौर पर मिल चुके हैं। पर फिर भी वो एक गंभीर किस्‍म के नेता की छवि के तौर पर उभरने पर नाकाम रहे हैं। क्‍योंकि उनके विपक्षी दल भाजपा ने उनकी छवि को उस तरह से उभरने ही नहीं दिया। सोशल मीडिया के जरिए राहुल गांधी की छवि को लगातार एक अलग तरह से लोगों के सामने रखा गया और उस छवि को खत्‍म करने के लिए कांग्रेस ने भी व्‍यापक पैमाने पर कुछ नहीं किया। इसका परिणाम यह हुआ कि बलिया से दिल्‍ली तक की यात्रा और यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बावजूद कांग्रेस सिर्फ सात विधानसभा सीट ही जीत पाई। कहा जा रहा है कि आने वाले समय में राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्‍यक्ष बनाया जा सकता है। पर कांग्रेस का अध्‍यक्ष बनाए जाने से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण जमीनी स्‍तर पर धीरे-धीरे खत्‍म हो रही कांग्रेस को फिर से जिंदा करना होगा। अगर राहुल गांधी इस तर्ज पर ऐसा कर पाते हैं तो वो जरूर एक मजबूत विपक्ष को पीएम मोदी के सामने रख सकते हैं। क्‍योंकि कांग्रेस एक राष्‍ट्रीय पार्टी है इसलिए अन्‍य सभी राजनीतिक पार्टियां इसके साथ गठबंधन कर भाजपा को रोकने के लिए आगे आ सकती हैं।

सबसे मजबूत कड़ी खुद ममता बनर्जी

सबसे मजबूत कड़ी खुद ममता बनर्जी

बंगाल की राजनीति में कांग्रेस, वामदलों और भाजपा तीनों को पटकनी दे चुकी टीएमसी की प्रमुख और बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी विपक्ष के नेता के तौर पर एक सशक्‍त दावेदार हैं, अन्‍य राजनीतिक विपक्षी दलों में भी उन्‍हें पसंद किया जाता है। देश में भले ही विपक्षी दल कांग्रेस हो, पर नोटबंदी के फैसले पर केंद्र सरकार को घेरने का काम टीएमसी और ममता बनर्जी ने ही किया था। भाषायी तौर पर थोड़ी कमजोर पड़ती हैं पर एक महिला राजनीतिक के तौर पर देश की सबसे मजबूत और कई अन्‍य नेताओं से उनका कद बड़ा है। बंगाल में आज भी भाजपा के सबसे बड़ी चुनौती ममता बनर्जी खुद हैं। इसलिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ अगर कोई भी गठबंधन बनता है तो उसकी सबसे मजबूत कड़ी खुद ममता बनर्जी होगी और राजनीति की धुरी उनके ही इर्द-गिर्द नाचेगी।

पुरानी राजनीति को छोक्ड़ नए नुस्‍खे अपनाने होंगे

पुरानी राजनीति को छोक्ड़ नए नुस्‍खे अपनाने होंगे

यूपी विधानसभा चुनावों 2017 में भले ही मायावती की सीटें 80 से घटकर 19 के स्‍तर पर आ गई हैं। पर फिर भी उन्‍हें 22 फीसदी वोटों के साथ करीब 1.92 करोड़ से ज्‍यादा लोगों ने मत दिए हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 से सीखकर मायावती फिर आगे बढ़ सकती हैं। साथ ही अभी की उत्‍तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं। ऐसे में मायावती का रोल महागठबंधन को बनाने में बहुत अहम हो जाता है। पर मायावती को अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना होगा और पुरानी राजनीति को छोक्ड़ नए नुस्‍खे अपनाने होंगे।

तीन बार के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक

तीन बार के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक

स्‍थानीय निकायों के चुनावों में मिली हार के बाद बीजद के प्रमुख और उड़ीसा के तीन बार के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक भी इस महागठबंधन का हिस्‍सा बन सकते हैं। उड़ीसा में कांग्रेस को पीछे छोड़कर आगे बढ़ी भाजपा को रोकने के लिए नवीन पटनायक के लिए भारतीय राजनीति में कुछ अलग करने का ही विकल्‍प बचा है। ऐसे में किसी भी महागठबंधन को मजबूत करने में उनकी भूमिका अहम होगी।

साफ-सुथरी छवि को लेकर आगे बढ़े अखिलेश यादव

साफ-सुथरी छवि को लेकर आगे बढ़े अखिलेश यादव

महागठबंधन के तौर पर उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री और सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव खुद एक योग्‍य नेता हो सकते हैं। अखिलश यादव भले ही चुनाव हार गए हों, पर उत्‍तर प्रदेश के साथ-साथ देश की राजनीति में अपनी साफ-सुथरी छवि को लेकर वो आगे बढ़े हैं। मुलायम सिंह यादव खुद बुजुर्ग हो चुके हैं। पर वो खुद महागठबंधन की पिच पर अखिलेश को एक राष्‍ट्रीय नेता के तौर पर उभार चुके हैं। अगर कोई भी गठबंधन होता है तो अखिलेश यादव को नजरअंदाज करना नामुमकिन होगा। और फिर उत्‍तर प्रदेश की भाजपा सरकार के काम तय करेंगे कि क्‍या लोग अखिलेश यादव को भूल जाएंगे या फिर बार-बार लोगों को याद आएंगे।

 केजरीवाल एक विकल्‍प जो जिंदा रहेगा

केजरीवाल एक विकल्‍प जो जिंदा रहेगा

देश की राजधानी दिल्‍ली की सत्‍ता में काबिज आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को पटखनी देकर सीधे तौर पर चर्चा में आए थे। एक कुशल वक्‍ता हैं। पर पार्टी में गंभीर और सर्वमान्‍य नेताओं की कमी है। अरविंद केजरीवाल खुद भले ही नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, वामदलों के अलावा अच्‍छे संबंध रखते हो। पर पंजाब और गोवा विधानसभा चुनावों में मिली हार उन्‍हें पीछे ढकेल सकती है। पर अपनी साफ छवि और सीधे तौर पर पीएम मोदी पर हमला करने के कारण विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर सकते हैं।

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English summary
Can these leaders stop the Narendra Modi juggernaut?
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