सुषमा स्वराज की गुगली पर बोल्ड हुए चीन और पाकिस्तान
पाकिस्तान में अफगान तालिबान, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए झांगवी से लेकर अल कायदा तक न जाने कितने ही आतंकी संगठनों के हाई-टेक ठिकाने हैं।
नई दिल्ली। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में रहने वाले 24 वर्षीय ओसामा अली को वीजा देकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मानवीयता की मिसाल पेश करने के साथ ही कूटनीतिक मोर्चे पर भी पड़ोसी देश को पटखनी दी है। सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर लिखा- पीओके भारत का हिस्सा है, ऐसे में वहां के नागरिकों को इलाज के लिए पाकिस्तान के लेटर की जरूरत नहीं, जिसने अवैध तरीके से पीओके पर कब्जा कर रखा है।
सुषमा स्वराज ने पेश की मानवीयता की मिसाल
सुषमा की गुगली पर पाकिस्तान क्लीन बोल्ड हो चुका है। कूटनीतिक मोर्चे से अलग होकर देखें तो ओसामा अली का यह मामला न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन के भी दोगलेपन को दिखाता है।
आतंकी ठिकानों पर लाखों का खर्च, अस्पतालों के लिए बजट नहीं
पाकिस्तान में अफगान तालिबान, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए झांगवी से लेकर अल कायदा तक न जाने कितने ही आतंकी संगठनों के हाई-टेक ठिकाने हैं। ये सभी आतंकी संगठन पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई के पैसे से एक से बढ़कर एक आधुनिक हथियार और ट्रेनिंग ले रहे हैं। लश्कर और जैश जैसे संगठनों ने नाम बदलकर करोड़ों का आतंकी कारोबार बना रखा है। ये संगठन आलीशान इमारतें बनाकर मदरसे चला रहे हैं, जिनमें जिहादी पैदा किए जाते हैं। भारत से दुश्मनी की बीमारी के इलाज पाकिस्तान सरकार और सेना बेतहाशा पैसा खर्च कर रही है, लेकिन अपने नागरिकों की बीमारी के इलाज पर पैसा खर्च करने के लिए हमारे इस पड़ोसी मुल्क के पास एक पैसा नहीं है।
नवाज सरकार को कोस रहा पाकिस्तानी मीडिया
खुद पाकिस्तानी मीडिया देश में इलाज की सुविधा नहीं होने को लेकर अपनी ही सरकार की आलोचना कर रहा है। पाकिस्तानी मीडिया नवाज शरीफ सरकार से पूछ रहा है कि उनके पास मेट्रो के लिए पैसे हैं, फाइटर प्लेन खरीदने के पैसे हैं, लेकिन अस्पताल बनाने के लिए कोई बजट नहीं है।
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पाकिस्तानियों को दोस्त कहने वाले चीन का दोगलापन
पाकिस्तान का अजीज दोस्त ड्रैगन जो कि चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC)पर 55 अरब डॉलर खर्च कर रहा है, उसके पास भी पाकिस्तानियों के लिए मेडिकल सुविधाओं के लिए एक पैसा नहीं है। यही चीन बलूचिस्तान में बंदरगाह बना रहा है, ताकि भारत के खिलाफ उसे इस्तेमाल कर सके, लेकिन जिन पाकिस्तानियों को वो अपना सबसे करीबी दोस्त कहते नहीं थकता, उसने पाकिस्तान में एक डिस्पेंसरी बनाने तक की मदद का कभी प्रस्ताव नहीं रखा है। कहने की जरूरत नहीं कि चीन में एक से बढ़कर एक अस्पताल हैं, लेकिन चीन के पास इस बारे में बात करने की फुर्सत तक नहीं है। उसे तो पीओके में रोड और डैम बनाने हैं, जिससे उसका कारोबार चलता रहे। ड्रैगन को अपने दोस्त की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं, दूसरी ओर भारत है, जिसे पाकिस्तान दुश्मन मानता हैं, लेकिन पाकिस्तानी अवाम ऐसा नहीं मानती। पाकिस्तानी आज भी मानते हैं कि भारत सरकार उन्हें निराश नहीं करेगी।
इलाज के लिए हर साल 500 पाकिस्तानी आते हैं भारत
दरअसल, पाकिस्तान में लिवर और बोनमैरो टांस्प्लांट जैसी सुपरस्पेशियलिटी सुविधा नहीं है। इस कारण से पाकिस्तानी नागरिक भारतीय अस्पतालों की ओर रुख करते हैं। इसके अलावा भारत के अस्पतालों में पश्चिमी देशों के मुकाबले इलाज भी बेहद सस्ता है। सालाना 500 पाकिस्तानी लिवर ट्रांस्प्लांट और दिल की बीमारियों के इलाज के लिए भारत आते हैं।
सुषमा ने पाकिस्तानियों का भी दिल जीता
भारत में जब भी कोई पाकिस्तानी इलाज के लिए आता है तो न केवल सरकार बल्कि भारतीय नागरिक भी उनके लिए दुआएं करते हैं। दूसरी ओर बेशर्म पाकिस्तान कुलभूषण जाधव की मां को उनसे मिलने की इजाजत तक नहीं दे रहा है। वह सुषमा स्वराज के पत्रों का जवाब तक नहीं दे रहा है। वहीं, सुषमा ने कुछ दिनों पहले एक पाकिस्तानी बच्चे और ट्यूमर से पीडि़त महिला को इलाज के लिए वीजा दिया। कुछ लोगों का कहना है कि भारत को भी पाकिस्तानियों को वीजा नहीं देना चाहिए, लेकिन यह तर्क सही नहीं है। भारत सदियों से 'वसुधैव कुटुंबकम' की सोच को मानने वाला है। ओसामा को वीजा देने से भारत की साख कम नहीं हुई है, बल्कि पाकिस्तानियों को भी एक संदेश गया है। सुषमा का यह कदम न केवल मानवीय दृष्टि से बल्कि से कूटनीतिक नजरिए से भी बेहद सधा हुआ है।
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