म्यांमार के अवैध रोहिंग्या मुसलमान बने आतंकी चुनौती
हैदराबाद। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी म्यांमार की यात्रा कर इस देश को पूर्व का प्रवेश द्वार बताते हैं तो वहीं इसी देश की ओर से भारत के लिए एक नया चैलेंज पेश किया जाता है। म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान अब पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरह भारत के लिए नई चुनौती बनते जा रहे हैं।
मंगलवार को हैदराबाद में बर्दवान ब्लास्ट के सिलसिले में खालिद नाम के शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसकी गिरफ्तारी के साथ ही इस ब्लास्ट में अब म्यांमार कनेक्शन भी सामने आ गया है। लेकिन इसकी आहट एजेंसियों को वर्ष 2013 में ही मिल चुकी थी।
जुलाई 2013 में पहली दस्तक
यह कोई नई या अजीब बात नहीं है क्योंकि जुलाई 2013 में जब बोधगया में ब्लास्ट्स हुए थे जो जांच एजेंसियों ने उसी समय अपनी जांच में इस बात को साफ कर दिया था कि बैन ऑर्गनाइजेशन सिमी अब म्यांमार से बाहर बसे रोहिंग्या मुसलमानों के लिए एक बडे़ खैरख्वाह के तौर पर सामने आ रहा है। हैदराबाद में खालिद की गिरफ्तारी इसी बात का सुबूत है।
एनआईए ने जिस खालिद को गिरफ्तार किया है वह म्यांमार का रहने वाला है और रोहिंग्या सॉलिडीट्री ऑर्गनाइजेशन से जुड़ा हुआ है। साथ ही उसके तार बांग्लादेश में मौजूद आतंकी संगठन से भी जुड़े हुए हैं जिन्हें एनआइए ने हैदराबाद से दबोचा था।
आपको बता दें कि बर्दवान ब्लास्ट में जिस मॉड्यूल का प्रयोग किया गया था, उसे बांग्लादेश के जमात उल मुजाहिद्दीन यानी जेएमबी की ओर से संचालित किया जा रहा था।
जेएमबी को अलकायदा स्पांसर करता है। सिमी, अलकायदा का भारत में स्थित आउटफिट है। सिमी ने रोहिंग्या मुसलमानों को समर्थन दिया। म्यांमार में रहने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायियों पर आरोप है कि उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों पर काफी ज्यादती की है।
यही एक अहम वजह थी जिसने बोधगया में हमलों की प्रेरणा दी। इन ब्लास्ट्स के साथ ही बौद्ध धर्म के अनुयायी जो म्यांमार में रहते हैं उन्हें एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की गई थी।