जेटली जी, क्या एक हजार करोड़ से होगी औरतों की हिफाजत?
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करते हुए आज महिला सुरक्षा के लिए बने निर्भया फंड के लिए एक हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा। पर जानकार मानते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा करने के लिए धन से ज्यादा इच्छाशक्ति की जरूरत है। इसमें पैसे का कोई रोल नहीं है।
सरकार का देशभर में 650 निर्भया सेंटर खोलने का मन है ताकि वहां पर औरतों से जुड़े मसलों का हल निकाला जा सके। एक हजार रुपये की राशि से इन केन्द्रो की स्थापना का प्रस्ताव है।
पहले देखें आंकड़े और महत्वपूर्ण बातें
- देश भर में कुल 650 निर्भया कंद्र खोले जाने हैं।
- प्रत्येक केंद्र पर 37 लाख रुपए का खर्च आयेगा।
-
इस
योजना
का
पहला
चरण
जुलाई
2015
में
पूरा
होना
है।
-
इन
केंद्रों
पर
महिलाओं
को
कानूनी
मदद
दी
जायेगी।
-
पीड़िताओं
को
इन
केंद्रों
पर
कांउसिलिंग
दी
जायेगी।
-
2007
में
महिलाओं
के
खिलाफ
18.5
लाख
अपराध
हुए।
-
2013
में
महिलाओं
के
खिलाफ
25
लाख
अपराध
हुए।
- इस फंड का इस्तेमाल सरकारी व एनजीओ के अभियानों में किया जाता है।
निंदा हो चुकी है
पर
बजट
में
महिलाओं
की
सुरक्षा
के
उद्देश्य
से
निर्भया
फंड
की
पहले
काफी
निंदा
हो
चुकी
है।
कुछ
लोग
इसके
औचित्य
पर
सवाल
उठाते
रहे
हैं।
आपको
याद
होगा
कि
तत्कालीन
वित्त
मंत्री
पी
चिदंबरम
ने
दिल्ली
सामूहिक
बलात्कार
की
पीड़ित
की
याद
में
इस
फंड
की
घोषणा
की
थी।
एक
हजार
करोड़
रुपए
के
इस
कोष
का
मकसद
महिलाओं
की
सुरक्षा
को
सुनिश्चित
करने
के
लिए
सरकार
और
गैर
सरकारी
संगठनों
की
ओर
से
की
जा
रही
पहलों
को
मजबूत
करना
है।
अलग से फंड क्यों
जब इस फंड की स्थापना की गई थी तब कुछ जानकारों ने कहा था,"महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड। ऐसे काम के लिए अलग से फंड की जरूरत क्या है जिसके लिए हम पहले ही टैक्स दे चुके हैं।"
जानकारों का कहना है कि निर्भया फंड का किस तरह से इस्तेमाल होता है,इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। कायदे से सरकार को इस लिहाज से भी देश को विस्तार से जानकारी देनी चाहिए। सिर्फ फंड स्थापित करने या उसके लिए धन आवंटित करने से बात नहीं बनेगी।