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ओडिशा में भाजपा ने पटनायक के लिए बजाई खतरे की घंटी?

ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) को 17 साल बाद किसी चुनाव में करारा झटका लगा है।

By संदीप साहू
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ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) को 17 साल बाद किसी चुनाव में करारा झटका लगा है। वैसे हाल ही में ख़त्म हुए पंचायत चुनाव में बीजद ने अपना नंबर एक स्थान बनाए रखा, लेकिन 2012 के मुक़ाबले उसे इस बार ज़िला परिषद की 180 सीटें कम मिली हैं।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक.
BISWARANAJAN MISRA
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक.

यह इस बात का प्रमाण है कि बीजद का जन समर्थन काफी घटा है। 2012 के पंचायत चुनाव में बीजद को ज़िला परिषद की 851 सीटों में से 651 सीटें मिली थीं इस बार उसे केवल 471 सीटें ही मिली हैं।

खतरे की घंटी

बुधवार को विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने से ठीक पहले पार्टी के विधायकों को संबोधित करते हुए बीजद अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने स्वीकार किया कि पंचायत चुनाव के परिणाम पार्टी के लिए ख़तरे की घंटी हैं। हालांकि उस समय चुनाव के नतीजों की आधिकारिक तौर पर घोषणा भी नहीं हुई थी।

भाजपा की जीत का जश्न मनाते उसके कार्यकर्ता.
Biswaranjan Mishra
भाजपा की जीत का जश्न मनाते उसके कार्यकर्ता.

शनिवार को जब परिणाम आए तो यह स्पष्ट हो गया कि बीजद सुप्रीमो आखिर क्यों इसे 'खतरे की घंटी' मानते हैं।आखिर क्या कारण है कि बीजद पिछले चुनाव के मुक़ाबले इस बार इतनी पिछड़ गई? नवीन पटनायक ने अपने भाषण में इसके दो प्रमुख कारण बताए।

उन्होंने अपने विधायकों को विनम्र होने और लोगों के साथ दोबारा संपर्क साधने की सलाह दी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि लगातार 17 साल तक सत्ता में रहने के बाद बीजद के नेता, विधायक और मंत्री काफी निश्चिन्त और कुछ हद तक अहंकारी हो गए थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के प्रदर्शन के बाद शायद उन्हें लगने लगा था कि यह दोनों पार्टियां बीजद को टक्कर देने की स्थिति में नहीं हैं।

भाजपा का उभार

उन्हें उम्मीद थी कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी बीजद को त्रिकोणीय मुक़ाबले का फायदा मिलेगा, लेकिन इस चुनाव में भाजपा उभर कर आई और कांग्रेस पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। इससे बीजद नेताओं की सारी अटकलें उलट-पुलट गईं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय राज्यमंत्री धर्मेंद्र प्रधान.
PIB
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय राज्यमंत्री धर्मेंद्र प्रधान.

चुनाव परिणाम आने के बाद बीजद पर अहंकार का आरोप लगाते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "बीजद के नेता कह रहे थे कि विपक्ष यहां दूसरे और तीसरे नंबर के लिए लड़ रहा है। नंबर एक और दो के बीच इतना कम फासला रह जाएगा इसका सत्ता में मदमस्त बीजद को अंदाज़ा नहीं था।"

पिछले पंचायत चुनाव में भाजपा को केवल 36 सीटें मिली थीं, जो इस बार बढ़कर 299 हो गई हैं। इन नतीजों से साफ़ है कि राज्य के 30 ज़िला परिषदों में से क़रीब आठ पर भाजपा का कब्ज़ा होगा। वहीं 2012 के चुनाव में 128 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार 63 सीटों पर सिमट गई है।

कांग्रेस दरकिनार?

हालांकि भाजपा के इस सशक्त प्रदर्शन का पूरा श्रेय कांग्रेस को दरकिनार होने को देना ग़लत होगा। अगर एकमात्र यही कारण होता तो भाजपा की सीटों की संख्या 100 के आस-पास होती। ज़ाहिर है भाजपा ने कई जगह ख़ासकर पश्चिमी ओडिशा में बीजद के वोट बैंक में घुसपैठ की है।

बीजद सरकार से नाराज़ लोगों ने इस बार अब तक तीसरे नंबर पर रही भाजपा पर विश्वास जताया। प्रेक्षकों का मानना है कि इस बार बीजद के ख़िलाफ़ वोट देने वालों में बड़ी संख्या बदहाल किसान, चिट फंड घोटाले के शिकार हुए लोग और खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत मिलने वाले राशन कार्ड से वंचित लोग शामिल थे।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का पुतला फूंकते कांग्रेस कार्यकर्ता.
Biswaranjan Mishra
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का पुतला फूंकते कांग्रेस कार्यकर्ता.

नगड़ा गांव में 19 बच्चों की मौत, मलकानगिरी ज़िले में जापानी इंसेफलाइटिस से हुई 100 से अधिक बच्चों की मौत और कालाहांडी में दाना माझी का अपनी पत्नी का शव लेकर 10 किलोमीटर पैदल चलना जैसे मुद्दों का खमियाज़ा भी बीजद को भुगतना पड़ा।

भाजपा के शानदार प्रदर्शन का एक अन्य कारण यह भी था कि कुछ केंद्रीय योजनाओं को अपनी योजना बताकर बीजद जिस तरह राजनीतिक फ़ायदा उठाना चाह रही थी भाजपा ने इसका प्रभावी ढंग से खंडन किया। सच्चाई से लोगों को अवगत कराया। इसके अलावा भाजपा की इस सफलता में उसके कार्यकर्ताओं का बहुत योगदान है। भाजपा ने पिछले दो सालों में राज्य में क़रीब 30 लाख नए सदस्य बनाए और संगठन को मज़बूत किया।

मुक़ाबला एकतरफा नहीं

लंबे अरसे तक राज्य सरकार चलाने वाली कांग्रेस की इतनी खस्ता हालत शायद पहले कभी नहीं हुई। यहां तक की 2014 के विधानसभा चुनाव में भी नहीं। पंचायत चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को एक 'बिट प्लेयर' बनाकर छोड़ दिया है। पार्टी के नेता इसे स्वीकार भी कर रहें हैं।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक.
Biswaranjan Mishra
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक.

कांग्रेस प्रवक्ता विश्वरंजन मोहंती कहते हैं, "यह मानने में मुझे कोई दुविधा नहीं है कि हमारा प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा। हममें ज़रूर कोई खामियां रहीं लेकिन हमारी हार का एक बड़ा कारण यह भी है कि हम बीजद और भाजपा की तरह पैसे नहीं खर्च कर पाए।"

पंचायत चुनाव के परिणामों से यह अनुमान लगाना कि 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजद की हार या भाजपा की जीत निश्चित है ग़लत होगा। बीजद के पास अपनी कमियां और ग़लतियां सुधारने के लिए अभी दो साल का समय है। सबसे बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री और बीजद प्रमुख नवीन पटनायक की लोकप्रियता अब भी बरकरार है।इन नतीजों से यह संकेत ज़रूर मिला है कि बीजद के एकतरफा चुनाव जीतने के दिन अब शायद ख़त्म हो रहे हैं।

BBC Hindi
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English summary
After 17 years of smooth sailing, his populist measures and fragmented and fragile opposition from rival Congress to BJP, Odisha chief minister and BJD president Naveen Patnaik is now facing a strong challenge.
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