जेल या फिर जहन्नुम: निर्वस्त्र घूमती हैं महिला कैदी, गंदे टॉयलेट में रात गुजारती हैं औरतें
मुरादाबाद। किसी देश में कानून की हुकमरानी को परखने के लिए उसकी जेलों में बंद कैदियों के साथ किए जाने वाले व्यवहार से बेहतर कोई कसौटी नहीं हो सकती। यह सही भी है क्योंकि कैदी के हाथ, पैर, जुबान हर चीज जेल प्रशासन के अधीन हो जाता है। अब बात अगर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जेल की महिला बैरक की करें तो यहां के जो हालात हैं उसे देखते हुए अगर इसे नरक नहीं कहें तो फिर नरक नाम की कोई चीज होती ही नहीं है। मानवधिकार इस बैरक की दहलीज पर दम तोड़ देता है।
लिहाजा शाम ढलते ही महिला कैदियों को बैरक में जानवरों की तरह ठूंस दिया जाता है। ये दर्दनाक दास्तां बयान किया है भाजपा महिला मोर्चा की महानगर अध्यक्ष मदालसा शर्मा ने जो इसी बैरक में किसी तरह सांस लेकर आजाद हुईं। उन्होंने जो हालात बयां किए हैं वो रूह कंपा देने वाले हैं। भाजपा नेत्री मदालसा शर्मा को जेल अफसरों से कोई शिकायत नहीं लेकिन जेल की दुर्दशा बताते हुए उनकी आख भर गई। उन्होंने कहा जो अकेली हैं फिर भी गनीमत है, सबसे ज्यादा बदतर हाल उन महिला बंदियों का है जिनके साथ उनके मासूम बच्चे भी हैं।
बैरक में 27 की जगह 200 महिलाएं कैद हैं ऐसे में कदम रखने को भी जगह मुश्किल से ही मिलती है। इसी बैरक में 28 बच्चे भी हैं, जिन्हें गोद में लेकर महिलाएं पूरी-पूरी रात खड़ी रहती हैं। इंतजार करती हैं कि सूरज निकलेगा और वो बैरक से बाहर निकलकर बैठ सकेंगे, लेट सकेंगी।
भाजपा
नेत्री
शर्मा
बताती
हैं
कि
बैरक
तो
छोड़
ही
दीजिए
उससे
अटैच
बैरक
के
दुर्गंध
भरे
टायलेट
तक
में
महिलाएं
खड़े
होकर
रात
बिताती
हैं।
मासूम
बच्चे
रोते
हैं
बिलखते
हैं
लेकिन
करें
भी
तो
क्या,
रात
यहीं
कटनी
है,
शाम
होते
ही
बैरक
में
जाने
के
नाम
से
महिलाओं
की
रूह
कांप
उठती
है।
इसी
बैरक
में
ऐसी
महिला
बंदी
भी
हैं
जिनकी
मानसिक
स्थिति
ठीक
नहीं
है।
पहनने
को
कपड़े
नहीं
हैं
और
मानसिक
हालत
ठीक
नहीं
होने
पर
कई
महिला
बंदी
तो
निर्वस्त्र
घूमती
हैं।