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बिहार और केरल में मिठास घोलती मुजफ्फरपुर की लीची

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मुजफ्फरपुर/नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। आपको यह जानकार थोड़ी हैरत हो सकती है कि आजकल केरल और बिहार को जोड़ रही है या यह कहे कि दोनों राज्यों के बीच मधुरता कायम कर रही मुजफ्फरपुर की लीची। मुजफ्फरपुर समेत पूरे बिहार की लीची अप्रैल-मई में तैयार होती है। मगर केरल में मुजफ्फरपुर की लीची के पेड़ दिसम्बर में ही फलों से लद गये हैं।

Bihari litchi making waves in Kerala

जानकारों ने बताया कि केरल में लीची की फसल तोड़ी जा रही है। फलों से लदे बाग को देख केरल के किसान गदगद हैं। वहीं मुजफ्फरपुर लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों के दिल भी बाग-बाग है। भला ऐसा हो भी क्यों न, इनकी मेहनत से ही केरल में लीची के बाग लहलहा रहे हैं।

लीची से प्रभावित केरल

दरअसल वर्ष 2006 में भेजे गये लीची के बेहतर किस्म के पौधों से दो साल बाद ही अधिक मुनाफा देख वहां के किसान मुजफ्फरपुर की लीची की ओर आकर्षित होने लगे। तब से राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के प्रयास से केरल के कई जिलों में लीची की व्यावसायिक खेती के लिए तेजी से बाग लगाये जा रहे हैं। मुशहरी स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने केरल जाकर वहां के किसानों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया।

लीची की तगड़ी खेती

पहले केरल में मुजफ्फरपुर तथा रांची स्थित अनुसंधान केन्द्र से लीची के पौधे भेजे गये। इसके बाद केरल के चार किसान अनुसंधान केन्द्र में आये। वैज्ञानिकों से खेती की तकनीक सीखे। केरल में वर्ष 2012 में लीची के बाग में अच्छे फल आने तथा दिसंबर में फल लगने से अच्छी कीमत मिलने पर बड़े पैमाने पर किसान लीची की खेती की ओर बढे़।

बिहार से केरल

जानकारों ने बताया कि वर्ष 2013 के मई में पांच हजार तथा 2014 के जुलाई में पांच हजार पौधे मुजफ्फरपुर से केरल भेजे गये। यहां से स्थानीय वैज्ञानिकों का एक दल भी वहां प्रशिक्षण देने गया। कल्पिता व उसके आसपास के जिलों में किसान बड़े पैमाने पर लीची के बाग लगा चुके हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार केरल में अक्टूबर से लेकर जनवरी तक का मौसम के अनुकूल होता है। इसलिए वहां दिसम्बर में ही लीची तैयार हो रही है।

बिहार में गर्मी के मौसम में बड़े पैमाने पर लीची का उत्पादन होता है। तब लीची सूबे में 25 रुपये किलो तक बिकती है। वहीं केरल में दिसम्बर में फल तैयार होने से उसकी मांग बढ़ी रहती है। वहां किसान 300 से 350 रुपये किलो तक लीची बेच लेते हैं। अगर एक पेड़ में तीन क्विंटल फल भी आया तो किसानों को लाख रुपये तक की कमाई हो जा रही है। यह आमदनी देखकर ही केरल के किसान लीची के दिवाने हुए हैं।

लीची के बगान

इस बीच, मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पत्रकार मनीष कुमार बताते हैं कि जिले में कुछ दिनों पूर्व तक 7849 हेक्टेयर में लीची के बगान थे परंतु अब यह मात्र 7157 हेक्टेयर ही रह गया है। उन्होंने बताया कि लीची के बगानों तथा उत्पादन दोनों धीरे-धीरे घटते जा रहे हैं। इधर, लीची के निर्यातक राजकुमार केड़िया बताते हैं कि इस वर्ष कैसी क्वालिटी निकलती है यह देखने वाली बात होगी परंतु उन्होंने इतना अवश्य बताया कि लीची मुजफ्फरपुर के विकास के दरवाजे खोल रही है।

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English summary
Bihari litchi making waves in Kerala. Litchi from Muzaffarpur is very tasty.
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