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देखें क्राइम के आंकड़ों में बिहार का जंगल राज

By Ajay Mohan
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पटना। बिहार में लगभग हर चुनावी सभा में 'जंगल राज' शब्द सुनाई दे ही जाता है। नीतीश कहते हैं उन्होंने बिहार को जंगल राज से मुक्त कराया, भाजपा कहती है नीतीश लालू के रूप में फिर से जंगलराज वापस लाने वाले है। क्या वाकई में बिहार जंगल राज से जूझ रहा है?

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<strong>वोट डालने नहीं जायेंगे राज्‍य से बाहर रह रहे बिहारी, पर क्यो</strong>वोट डालने नहीं जायेंगे राज्‍य से बाहर रह रहे बिहारी, पर क्यो

यह जानने के लिये हमने बिहार के क्राइम ग्राफ पर नजर डाली तो निम्न आंकड़े निकल कर सामने आये-

  • 2010 से 2014 तक बिहार में आपराध‍िक वारदातों में 42 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
  • बिहार में 2014 में 2 लाख से ज्यादा आपराध‍िक मामले दर्ज हुए हैं।
  • 2014 में 1,127 रेप की वारदातें हुईं, जबकि करीब 12 हजार से ज्यादा महिलाओं से जुड़े अन्य अपराध।
  • पटना में अपराध कम हुआ है। एक समय था ब पटना सुरक्ष‍ित जगह नहीं मानी जाती थी।

पटना के रहने वाले संतोष झा कहते हैं कि बिहार के लिये इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा विकास है और दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा महिलाओं के ख‍िलाफ बढ़ती हिंसा। आने वाली सरकार को इन दोनों पर गंभीरता से काम करना होगा। पटना यूनिवर्सिटी के छात्र अवधेश सिंह कहते हैं कि महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती हिंसा पर लगाम कसना बहुत जरूरी है। इसके लिये विशेष अभ‍ियान के तहत लोगों की सोच बदलने की जरूरत है।

वहीं महिलाएं कहती हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि नीतीश कुमार ने पटना की सड़कों को सुरक्ष‍ित तो बनाया है। अब कम से कम हम घर से बाहर निकल सकते हैं। एक समय था जब शहर के बाहरी इलाकों में शाम को निकलने में भी डर लगता था।

क्यों दूसरे राज्यों में जाते हैं बिहारी

देश के औद्योगिक विकास में बिहार का योगदान महज 1.5 प्रतिशत है। बेरोजगारी के कारण ही यहां के लोग दूसरे राज्यों में जाकर नौकरी करते हैं। हर साल करीब 55 लाख लोग बिहार से बाहर जाते हैं बेहतर विकल्प तलाशने के लिये। इनमें से ज्यादातर लोग फिर वापस नहीं आते हैं।

कृष‍ि की बात करें तो 2005 से लेकर 2014 तक बिहार में 4.31 की बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन बाकी की समस्याएं जस की तस हैं। वो समस्याएं हैं-

  • बिजली की भारी कमी
  • साफ-सफाई में पीछे
  • कृष‍ि रोजगार की कमी
  • उद्योगों की भारी कमी
  • अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर का नहीं होना
  • बाढ़-सूखा से निपटने में नाकामी
Comments
English summary
Political statements and caste equations are part and parcel of every election.
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