बिहार विधानसभा चुनाव 2015: दागियों के दामन में बिहार, 797 क्रिमिनल उम्मीदवार
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन चुनाव को लेकर पार्टियों ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है। चुनाव सीधे तौर पर महागठबंधन और एनडीए के बीच होती दिखाई दे रही है तो वहीं जीत के लिए राजनीतिक दल किसी भी हद तक जाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
जहां पार्टियां अपने उम्मीदवारों के साफ-सुधरी तस्वीरों को जनता के सामेन पेश करती है तो वहीं एक रिपोर्ट ने उनकी पोल खोल कर रख दी है। बिहार इलेक्शन वाच (बीईडब्ल्यू) और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कुल 2235 उम्मीदवारों में से 797 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। जानिए इस अहम रिपोर्ट की कुछ खास बातें...
ये दाग अच्छे हैं
2235 उम्मीदवारों में से 797 उम्मीदवार यानी कि 36 फीसदी उम्मीदवारों पर किसी न किसी तरह के अपराधिक मामले दर्ज थे।
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इन 797 दागी उम्मीदवारों में से 467 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे थे। जैसे कि हत्या, लूट, किडनैपिंग, बलात्कार जैसे गंभीर आरोप दर्ज थे।
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इन 797 दागी उम्मीदवारों में से सबसे ज्यादा दागी उम्मीदवार भाजपा से थे। भाजपा ने साल 2010 में 102 में से 66 दागी उम्मीदवारों को टिकट दिया था।
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जबकि लोजपा के 75 में से 42 उपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को टिकट बांटे थे।
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वहीं 15 सालों तक बिहार की सत्ता पर राज करने वाली राजद ने 166 उम्मीदवारों में से 92 आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को अपनी टिकट से चुनाव लड़वाया था। हलांकि इस परिणाम उन्हें भुगतना पड़ा।
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जबकि जेडीयू ने 140 उम्मीदवारों में से 76 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट बांटे जिनपर किसी न किसी तरह के आपराधिक मामले दर्ज थे।
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कांग्रेस ने 240 उम्मीदवारों में से 76 ऐसे उम्मीदवारों का चुनाव किया था जिनपर क्रिमिनल केस दर्ज थे, जबकि बीएसपी ने 232 में से 89 आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट बांटा था।
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हलांकि आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट बांटना राजनीतिक दलों को महंगा पड़ा। वोटरों ने ऐसे उम्मीदवारों की तुलना में साफ छवि वाले उम्मीदवारों को बढ़-चढ़ कर चुना। वोटरों ने 72 फीसदी साफ छवि वालों को वोट दिए।
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वहीं गंभीर आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की बात करें तो जेडीयू ने 148 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए जिनपर मर्डर, लूट, बलात्कार जैसे गंभीर अपराधिक केस दर्ज थे, जबकि भाजपा में ऐसे विधायकों की संख्या 88 थी, वहीं राजद में 17 और लोजपा में 7।
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अगर करोड़पति मंत्रियों की बात करें तो बिहार सरकार में जेडीयू के 5 करोड़पति मंत्री है तो भाजपा के 2। सर्वाधिक संपत्ति के मामले में जेडीयू का पलड़ा भारी है। जेडीयू नेता प्रवीण अमानुतुल्ला के पास बिहार विधानसबा में सर्वाधिक संपत्ति है।