ना नियम, ना कानून, राम भरोसे चल रही सरकारी कंपनी, करोड़ों का नुकसान
कैग की रिपोर्ट में भेल की दुर्दशा आई सामने, लगातार भारी नुकसान झेल रही भेल, कंपनी के सिद्धोंतों को नहीं पूरा किया गया
नई दिल्ली। कैग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी उपक्रम भेल की दुर्दशा को जाहिर किया है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सरकार कांग्रेस की हो या बीजेपी की भेल की हालत लगातार खराब हो रही है। भारत की 7 महारत्न पीएसयू कंपनियों में से एक, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने लगातार नुकसान ही झेला है। सरकार की कमजोर नीतियों की वजह से भेल की लगातार विफलताओं का हर्जाना भारत के पॉवर सेक्टर को भरना पड़ रहा है। 2011 के बाद से कंपनी के टर्नओवर में लगातार गिरावट ही देखने को मिली है।
913 करोड़ के नुकसान में है कंपनी
मंगलवार को संसद में पेश की अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा कि भेल का टर्नओवर 2011-12 में 49, 510 करोड़ रूपये से गिरकर 2015-16 में मात्र 26, 587 करोड़ रूपये ही रह गया है। कैग ने यह भी बताया की भेल 2011 तक सरकार को फायदा पहुचाने वाली कंपनी नहीं रहकर सरकार को घाटा पहुचाने वाली कंपनी बन गई है। 2011-12 में जहां भेल 7, 040 करोड़ रूपये का फायदा कमा लिया करती थी तो 2015-16 में वह 913 करोड़ रूपये का नुक्सान झेल रही है।
कंपनी के मूलभूत सिद्धांतों को दरकिनार किया गया
जब हैवी इंडस्ट्रीज और पब्लिक इंटरप्राइजेज मंत्रालय से मई में भेल के इस नुकसान के बारे में सवाल पूछे गए तो जवाब आया की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए गए हैं। लेकिन इसके जवाब में कैग ने सरकार पर निशाना दागते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कंपनी चलाने के मूलभूत सिद्धांतों को भी दरकिनार कर दिया गया है जिसकी वजह से ही भेल का आज ये हाल हो गया है।
भेल ने अपना लक्ष्य तक निर्धारित नहीं किया
कैग ने कहा कि भेल ने अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए वार्षिक टारगेट तक नहीं तय कर रखे थे और जो छोटे मोटे लक्ष्य बनाए भी गए थे वह लगातार उन्हें पा पाने में असफल रही है। कैग ने बताया की भेल की बाजार में कुल कीमत के कम हो जाने की वजह से उसमे सरकार के कुल शेयर के मूल्यों में भी गिरावट आई है।
सरकार की हिस्सेदारी कम हुई
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 की अप्रैल में भेल की बाजार में कुल कीमत 97, 940.71 करोड़ रूपए थी जो 2017 की फरवरी में सिर्फ़ 37, 533.95 करोड़ रूपए ही रह गई है। जोकि 61.68% की गिरावट है। जिस वजह से भेल में सरकार की हिस्सेदारी भी 38, 092.50 करोड़ रूपये से कम हो गई है।