जब अटल बिहारी बाजपेयी ने कहा..टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते...
नई दिल्ली। आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को जन्मदिन से पहले ही भारत सरकार ने उन्हें जन्मदिन का तोहफा दे दिया है। आज उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से विभूषित किए जाने की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, "राष्ट्रपति को पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी बाजपेयी को 'भारत रत्न' से सम्मानित कर खुशी हो रही है।"
अटल बिहार बाजपेयी केवल एक सफल राजनेता ही नहीं थे बल्कि वो एक बहुत अच्छे वक्ता भी थे। लेकिन इन तीव्र बौद्धिक हस्ती के अंदर एक कवि हृद्य भी है, जिसके चलते अटल बिहार बाजपेयी हर उम्र के लोगों में लोकप्रिय हैं।
अपनी बातों को बेहद ही सुलभ ढंग से लोगों के सामने प्रस्तुत करने वाले अटल बिहारी बाजपेयी की 'मेरी इक्यावन कविताएं' सबसे ज्यादा बहुचर्चित काव्य संग्रह है। 'मेरी इक्यावन कविताएं' काव्य संग्रह का लोकार्पण 13 अक्टूबर 1955 में नई दिल्ली में भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री पी. वी. नरसिंहराव ने सुप्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन' की उपस्थिति में किया था।
कविताओं का चयन व सम्पादन डॉ॰ चन्द्रिकाप्रसाद शर्मा ने किया है। पुस्तक के नाम के अनुसार इसमें अटलजी की इक्यावन कविताएँ संकलित हैं जिनमें उनके बहुआयामी व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं। आईये अटल जी के आज अनमोल दिन पर उनकी पुस्तक 'मेरी इक्यावन कविताएं' की कुछ कविताएं आप लोग भी पढ़िये...
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते...
सत्य
का
संघर्ष
सत्ता
से,
न्याय
लड़ता
निरंकुशता
से,
अँधेरे
ने
दी
चुनौती
है,
किरण
अन्तिम
अस्त
होती
है।
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते...
दीप
निष्ठा
का
लिए
निष्कम्प
वज्र
टूटे
या
उठे
भूकम्प,
यह
बराबर
का
नहीं
है
युद्ध,
हम
निहत्थे,
शत्रु
है
सन्नद्ध,
हर
तरह
के
शस्त्र
से
है
सज्ज,
और
पशुबल
हो
उठा
निर्लज्ज।