भारत बंद: सरकार परेशान, ममता ने दिखाए तल्ख तेवर
नई दिल्ली। सेंट्रल ट्रेड यूनियन की ओर से 2 सितंबर को भारत बंद के ऐलान के बाद सरकारें आफत में आ गई हैं। यूनियन्स अपनी 12 सूत्रीय मांगो के लिए हड़ताल करेंगे।
उनकी मांग है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 18,000 रुपए प्रति माह का वेतन तय किया जाए।
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उनकी ओर से यह मांग भी की गई है कि आवेदन करने के 45 दिन के भीतर ट्रेड यूनयिनों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में हुए सी -87 और सी -98 सम्मेलनों के सुधार तत्काल लागू किए जायें।
उन्होंने मांग की है कि तथाकथित श्रम कानून सुधारों के माध्यम से श्रमिकों के बुनियादी अधिकारों पर हमले बंद किए जायें और स्थायी और बारहमासी कामों के निजीकरण को रोका जाए।
श्रम मंत्री ने की थी अपील
इस मसले पर केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने यूनियनों से अपील की थी कि हड़ताल पर जाने के उनके फैसले पर वे फिर से विचार कर लें।
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हालांकि यूनियनों ने शनिवार को यह कहते हुए सरकार की मांग खारिज कर दी कि उनकी मांगों के बारे में सरकार कुछ नहीं कर सकी।
दत्तात्रेय के पत्र का जवाब देते हुए आल इंडिया ट्रेड यूनियन्स कांग्रेस और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स ने कहा कि उनके मांगो की हालात आज भी वही है जो साल भर पहले थी।
परेशान है आला अफसर मंत्री
इस हड़ताल की घोषणा से परेशान उर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल और श्रम मंत्री दत्तात्रेय ने श्रम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मीटिंग की।
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गोयल और दत्तात्रेय पांच लोगों की कमेटी के मेंबर हैं जो मजदूरों के मुद्दों पर बनाई गई है। इर कमेटी के अध्यक्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली हैं।
पैनल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ से दो बार बातचीत की है। जिसकी अन्य यूनियन यह कह कर आलोचना कर रहे हैं कि वे लोग 'एक्सक्लूजिव डिसिजन' ले रहे हैं।
संघ का संगठन नहीं पा रहा फैसला
बीते साल जब 2 सितंबर को यूनियनों ने हड़ताल की घोषणा की थी तो भारतीय मजदूर संघ सरकार की ओर से 12 में से 9 मांगों को माने जाने का आश्वासन पाकर हड़ताल से बाहर हो गई थी।
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इस साल भी संघ अभी फैसला नहीं ले पाया है कि वो हड़ताल में शामिल हो या नहीं क्योंकि उन्हें सरकार की ओर सकारात्मक कदम की उम्मीद है।
मंत्रियों का पैनल आखिरी बार अगस्त 2015 में 26-27 अगस्त यूनियनों से मिले थे।
मजदूरों के आग्रह पर भी मंत्री ने नहीं बुलाई बैठक
हालांकि यूनियनों की ओर से यह दरख्वास्त की गई थी कि बीते माह जुलाई में दत्तात्रेय के साथ बैठक की जाए लेकिन कोई बैठक नहीं बुलाई गई।
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वहीं सीटू के जनरल सेक्रेटरी तपन सेन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि हड़ताल वापस लेने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के उपाध्यक्ष अशोक सिंह का भी कहना है कि हड़ताल जरूर होगी।
ममता के तल्ख तेवर
इस मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हड़ताल का विरोध करते हुए कहा है कि जो भी किसी तरह के तोड़फोड़ में शामिल होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
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ममता ने कहा है हम राज्य में किसी भी बंद की अनुमति नही देंगे। हम हर चीज खुली रखेंगे। गाड़ियां चलेंगी और दुकानें खुली रहेंगी।
उन्होंने कहा कि अगर हड़ताल समर्थकों द्वारा गाड़ियों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे। हम मुआवजा भी देंगे। अगर वो चाहते हैं तो वो दिल्ली जा सकते है और वहां अपना विरोध दर्ज कराने के लिए धरना करें।
( सभी तस्वीरें फाइल फोटो )