नेवी डे से पहले ही मिली INS विक्रांत को शहादत
मुंबई। चार दिसंबर को इंडियन नेवी अपना 43वां नेवी डे यानी नौसेना दिवस मनाएगी। यह बहुत ही दुख की बात है कि इस अहम दिन से पहले ही इंडियन नेवी ने अपने एक ऐसे बहादुर सिपाही को खो दिया है, जिसने पाक के छक्के छुड़ा दिए थे। 4-5 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय नौसेना के अभूतपूर्व योगदान की वजह से नेवी डे मनाने की परंपरा शुरू हुई थी।
विक्रांत के लिए 100 करोड़ भी नहीं
आईएनएस विक्रांत जिसे तबाह करने की पाक की सारी साजिशं 71 में असफल हो गई थीं, वह मुंबई के डॉकयार्ड में शहीद हो गया। अफसोस इस बात का कि हमारी सरकारें और खुद को सेनाओं के लिए समर्पित करार देने वाले लोग भी आईएनएस विक्रांत को म्यूजियम तक में तब्दील नहीं करा सके।
तस्वीरें देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पाक की नाक में दम करने वाला विक्रांत कैसे अपनी लाचारी और मजबूरी पर रो रहा है। कभी एक वॉरशिप के तौर पर जिस विक्रांत की बहादुरी की दाद दी जाती थी आज उसके तबाह होने का तमाशा देखा जा रहा है।
हजारों करोड़ों के घोटाले करने वाली हमारी देश की सरकारें , पार्टी के किसी नेता के नाम पर पार्टी के लिए करोड़ों रुपए का फंड इकट्ठा करने वाले हमारे राजनेता, इस जहाज के लिए जरूरी 100 से 500 करोड़ रुपए तक नहीं जुटा सके ताकि इसे एक म्यूजियम में बदला जा सकता।
शिवसेना ने जताया अफसोस
मई में जब इस वॉरशिप को बांबे डॉकयार्ड से निकालकर उस जगह पर ले जाया गया जहां पुराने जहाज रखे जाते हैं, शिवसेना ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। पार्टी ने वर्तमान हालातों पर सामना में प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है, 'हम विक्रांत के लिए जरूरी 100-500 करोड़ रुपए का इंतजाम नहीं कर सके। इसे सिर्फ देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है। जिस जहाज ने देश को 71 में पाक के खिलाफ फतह हासिल करने में मदद की, वह खुद अपनी जान बचाने के लिए देशवासियों से गुहार लगा रहा है।' शिवसेना के मुताबिक वह इस वॉरशिप का दर्द नहीं देख सकती है।
आदर्श घोटाला करने वाली सरकार की मजबूरी
यह भी संयोग ही है कि जिन शहीद सैनिकों के नाम पर महाराष्ट्र की सरकार आदर्श घोटाले में शामिल रही, उसी सरकार की ओर से इस वॉरशिप को मेनटेन न करने की मजबूरी सुप्रीम कोर्ट सामने जाहिर की गई थी।
जनवरी 2014 में राज्य सरकार की याचिका पर जब बांबे हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी , तो उस समय रक्षा मंत्रालय की ओर से भी जवाब दिया कि नेवी के इस 'प्रतापी' वॉरशिप ने अपनी ऑपरेशनल लाइफ पूरी कर ली है।
वर्ष 1997 में नेवी से रिटायर हुई इस वॉरशिप को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में किरन पेनगांकर की ओर से एक पीआईएल डाली गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस पीआईएल को खारिज कर दिया और फिर इसे एक कबाड़ साबित कर दिया गया।
61 में नेवी में शामिल हुआ था 'हीरो' विक्रांत
- 3 नवंबर 1961 को आईएनएस विक्रांत इंडियन नेवी की मुंबई फ्लीट का हिस्सा बना था।
- इसे भारत ने इसे वर्ष 1957 में ब्रिटेन से खरीदा था।
- भारत में शामिल होने से पहले इसका नाम एचएमएस हरक्यूलिस था।
- 71 की लड़ाई से पहले 65 में पाक के साथ हुई लड़ाई में भी इसका अहम योगदान रहा।
- 65 में पाक ने अपनी सबमरीन पीएनएस गाजी को इसके जवाब में डेप्लॉय किया था।
- इसके बाद फिर 71 की लड़ाई में भी इसने पाक के छक्के छुड़ा दिए थे।