राजीव गांधी की राह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतराष्ट्रीय मंच पर काफी लोकप्रियता बढ़ी है। यहीं नहीं जिस प्रकार से पीएम मोदी टेक्नॉलाजी का भरपूर उपयोग करके मध्यम वर्ग के लोगों के बीच अपनी पैठ को काफी मजबूत किया है। लकेिन मोदी कार्यशैली और नीतियों पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की छवि देखने को मिलती है। हालांकि पीएम मोदी ने राजीव गांधी को अहम मौको पर दरकिनार करते नजर आये हैं।
पीएम मोदी महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलने की बात करते हैं, सरदार पटेल की लौह नीतियों के अनुयायी के रूप में जाने के साथ विवेकानंद के सिद्धांतों को मानने में यकीन रखते हैं। लेकिन उनके शुरुआती छह महीनों पर नजर डालें तो उसपर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की छाप नजर आती है।
विदेशों
में
लोकप्रियता
पीएम
मोदी
ने
अपने
शुरुआती
छह
महीने
के
कार्यकाल
में
ताबड़तोड़
विदेशी
दौरे
किये।
इस
मौके
पर
उन्होंने
विदेश
नीति
को
पुख्ता
करने
पर
सबसे
ज्यादा
जोर
दिया।
राजीव
गांधी
के
कार्यकाल
पर
नजर
डाले
तो
उन्होंने
भी
अपने
शुरुआती
दिनों
में
काफी
विदेशी
दौरे
किये।
सार्क
के
निर्माण
में
राजीव
गांधी
की
अहम
भूमिका
थी
यही
नहीं
बेनजीर
भुट्टों
के
साथ
उनकी
कूटनीतिक
स्तर
पर
वार्ता
के
चलते
दोनों
देशों
के
बीच
नॉन
न्युक्लियर
पैक्ट
पर
हस्ताक्षर
हुए।
राजीव गांधी की 1985 में अमेरिका की यात्रा ने उन्हें अंतराष्ट्रीय मंच पर स्थापित किया। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका में मैडिसन स्क्वॉयर के भाषण के बाद उन्हें पूरी दुनिया में ख्याति दिलायी।
स्वदेश
में
जबरदस्त
जनसमर्थन
नरेंद्र
मोदी
को
भारत
के
मध्यम
वर्ग
के
लोग
अपना
जबरदस्त
समर्थन
दे
रहे
हैं।
नरेंद्र
मोदी
के
समर्थक
उनकी
नीतियों
से
काफी
संतुष्ट
नजर
आते
हैं
साथ
ही
उन्हे
सशक्त
राजनेता
के
रूप
में
देखते
हैं।
पीएम
मोदी
नक्सलवाद,
भ्रष्टाचार,
आतंकवाद
से
निपटने
के
लिए
काफी
कड़े
कदम
उठाने
की
बात
करते
हैं।
यही
नहीं
अपने
छह
महीने
के
कार्यकाल
में
लगभग
हर
महीने
उन्होंने
जम्मू-कश्मीर
की
यात्रा
की।
वहीं राजीव गांधी ने भी असम और मिजोरम में अलगाववादी आंदोलन और पंजाब में सिखों के आंदोलन पर उन्होंने अपनी नीतियों के चलत सफलता पायी। यही नहीं राजीव गांधी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी जमकर हमला बोला था। राजीव गांधी की इन नीतियों के चलते उन्हें भी मध्यम वर्ग के लोगों से जबरदस्त समर्थन मिला।
हालांकि इन तथ्यों के बाद नरेंद्र मोदी के भी नरेंद्र मोदी की एक सफल नेता के रूप में स्थापित करना अभी जल्दबाजी होगी। लेकिन जिस तरह से लोगों के बीच एक के बाद वादे करना और लोगों की अपेक्षाओं को मोदी ने बढ़ाया है वह मोदी के लिए आने वाले समय में बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरने की स्थिति में मोदी की भी राजीव गांधी जैसी आलोचनाओँ को झेलना पड़ेगा।
भारत की राजनीति के इतिहास पर नजर डाले तो जो नेता शुरुआती दिनों में जबरदस्त लोकप्रियता पाकर उभरते हैं वो उस लोकप्रियता को लंबे अरसे तक कायम रख पाने में असमर्थ रहते हैं। राजीव गांधी के कार्यकाल के आखिरी दिनों में उनपर वीपी सिंह ने जमकर हमला बोला था और अक्सर उनकी सभाओं में राजीव गांधी के खिलाफ गली-गली में शोर है जैसे नारे लगाए जाते थे। ऐसे में मोदी के अच्छे दिन के वादे से लोगों में काफी विश्वास है जिसपर खरा उतरना मोदी के लिए बड़ी चुनौती है।