पीएम मोदी की जन धन योजना पर आरटीआई से हुआ बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। जन धन योजना के तहत देशभर के लोगों को बैंक से जोड़ने का जो सपना पीएम मोदी ने देखा था, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट ने उसमें एक बहुत बड़ी खामी को उजागर कर दिया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अब तक खुले करीब 17.90 करोड़ जन धन खातों में लगभग आधे खाते ऐसे हैं, जिनमें एक भी पैसे नहीं हैं।
सीपीएम के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने भी मंगलवार को इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट किया कि क्या सरकार की सभी योजनाएं और सारा इकॉनोमिक डेटा महज एक जुमला है? उन्होंने लिखा- जन धन योजना इसका एक अच्छा उदाहरण है।
सीताराम येचुरी ने कहा कि कुल जन धन खातों में से करीब 75 फीसदी खातों में एक भी पैसा नहीं था, जो सरकार की असफलता को दिखा रहा था। अपनी इस असफलता को छुपाने के लिए बैंकों को इन खातों में 1-1 रुपए जमा करने को कहा गया।
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कालेधन पर भी मोदी पर साधा निशाना
कालेधन पर पीएम मोदी के उस बयान पर भी सीताराम येचुरी ने उन पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने 2014 के चुनावी दौरों के समय कहा था कि जब कालाधन भारत आ जाएगा तो सभी लोगों के अकाउंट में 15 लाख रुपए आ जाएंगे। येच्युरी बोले- अधिकतर गरीब लोगों ने उसी पैसे की उम्मीद में जन धन अकाउंट खुलवाए थे, लेकिन उन्हें मिला सिर्फ एक रुपया।
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क्या है इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट?
यह सारी जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत करीब 30 राष्ट्रीय और ग्रामीण बैंकों से प्राप्त की गई है। इसके लिए 6 राज्यों के 25 गावों और शहरों का दौरा भी किया गया है। इन गांवों और शहरों में जनधन खाताधारकों के पासबुक देखे गए और उनसे बात की गई।
बैंकों से पता चला कि जनधन खातों में एक रुपए इसलिए जमा किए जा रहे हैं, ताकि जीरो बैलेंस खातों की संख्या घटाई जा सके। आपको बता दें बैंक के अधिकारियों द्वारा ये पैसे या तो अपने भत्तों से कटौती करके जमा करवाए जा रहे हैं या फिर ऑफिस के खर्चों में कटौती करके जीरो बैलेंस खातों में पैसे जमा किए जा रहे हैं।
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मैनेजर बोले- दबाव था
करीब 20 ब्रांच मैनेजर बोले कि उन पर इस बात का भी दबाव बनाया गया था कि बैंक के जीरो बैलेंस खातों की संख्या में कमी दिखाई जाए। एक बैंक अधिकारी ने कहा- हमारे ऊपर ऐसा दबाव इसलिए भी था क्योंकि ये माना जाता है कि अगर जीरो बैलेंस खातों की संख्या अधिक है, तो यह दिखाता है कि उन्हें कोई इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
सूचना के अधिकार अधिनियम से प्राप्त जानकारी के अनुसार 18 पब्लिक बैंक और उनके 16 सब्सिडियरी बैंकों में करीब 1.05 करोड़ जनधन खातों में 1-1 रुपए जमा किए गए हैं। भोपाल के पास के इलाके रतिबाद में रहने वाले प्रेम बाई के खाते में 10 पैसे ट्रांसफर किए गए। वहीं, कुछ मामलों में जनधन खातों में 2,3 और 5 रुपए भी जमा किए गए हैं।
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अगर बड़े स्तर देखा जाए तो जीरो बैलेंस खातों की संख्या में तेजी से कमी आई है। सितंबर 2014 में जीरो बैलेंस खातों की संख्या 76 फीसदी थी, जो अगस्त 2015 में लगभग 46 फीसदी रह गई। और अब 31 अगस्त 2016 में इसकी संख्या सिर्फ 24.35 प्रतिशत रह गई है।