सुप्रीम कोर्ट में बैंकों ने कहा, माल्या ने जानबूझकर नहीं किया पूरी सम्पत्ति का खुलासा
नई दिल्ली। कारोबारी विजय माल्या को कर्ज देने वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और दूसरे बैंकों के समूह ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि माल्या ने जानबूझकर अपनी पूरी सम्पत्ति का खुलासा नहीं किया।
बैंकों ने कहा कि इसमें विजय माल्या को फरवरी में एक ब्रिटिश कंपनी से मिले 4 करोड़ डॉलर की रकम भी शामिल है।
विजय
माल्या
के
खिलाफ
बैंकों
का
सुप्रीम
कोर्ट
में
जवाब
सुप्रीम कोर्ट में बैंकों के समूह की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ को बताया कि माल्या ने अपनी सम्पत्ति को लेकर मार्च में जवाब दाखिल किया था जबकि फरवरी में ही उन्हें 4 करोड़ डॉलर मिले थे। जिसका जिक्र उन्होंने अपने जवाब में नहीं किया।
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अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा कि उच्चतम न्यायालय के नियमों के मुताबिक अवमानना याचिका के तहत नोटिस जारी होने पर विजय माल्या को कोर्ट में पेश होना चाहिए।
रोहतगी ने कहा कि माल्या को खुद पेश होने के मामले में कोई छूट नहीं दी गई है, ऐसे में उनकी दलीलों को और नहीं सुना जाना चाहिये।
विजय माल्या की ओर से दायर की गई याचिका
दूसरी ओर कारोबारी विजय माल्या की ओर से कोर्ट में उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि माल्या की ओर से एक याचिका सर्वोच्च अदालत में दायर की गई है।
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इसमें कोर्ट के अवमानना संबंधी पिछले आदेश को वापस लेने की अपील की गई है। याचिका में कहा गया है कि माल्या की ओर से किसी तरह की कोई अवमानना नहीं की गई है।
विजय माल्या की ओर से आए वरिष्ठ वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संपत्तियों के खुलासा करने का आदेश दिया था जिसका पूरी तरह से पालन किया गया है।
इस बीच पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कोर्ट के पहले के आदेश को वापस लेने के संबंध में दायर विजय माल्या की याचिका पर अपना जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी।