बेंगलुरु धमाका: दक्षिण भारत में कैसे जड़ें मजबूत कर रहा है सिमी
बेंगलुरु। बेंगलुरु की चर्च स्ट्रीट पर धमाका हुआ तो सबसे पहला शक स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया पर गया। ऐसा इसलिये क्योंकि खुफिया विभाग की एक रिपोर्ट ने इस संगठन के बारे में चौंकाने वाले तथ्य हाल ही में गृह मंत्रालय को सौंपे थे। पुलिस ने उन सभी तथ्यों को गंभीरता से लिया, लेकिन शायद कहीं चूक रह गई और चर्च स्ट्रीट चेन्न्ई की एक महिला की मौत का कारण बन गई। खैर सिमी इस धमाके के पीछे है या नहीं, यह तो जांच का विषय है, लेकिन हम आपको एनआईए की रिपोर्ट के कुछ तथ्यों से जरूर रू-ब-रू करवा सकते हैं। तो चलिये जानते हैं कि सिमी दक्षिण भारत में किस तरह अपने पैर जमा रही है।
सबसे पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि सिमी वो संगठन है, जो अपने आका की गिरफ्तारी के बाद टूट गया था, लेकिन पिछले दो-तीन सालों में यह एक बार फिर से मजबूती से उभर रहा है। यह दक्षिण में किस प्रकार जड़ें मजबूत कर रहा है, आइये जानते हैं इन महत्वपूर्ण बिंदुओं में-
- दक्षिण भारत में सिमी का नेटवर्क पिछले तीन साल में बहुत मजबूत हो गया है।
- इस संगठन ने कई उतार चढ़ाव देखे और अब इंडियन मुजाहिदीन के संग मिलकर मजबूती से उभर रहा है।
- सिमी के पांच आतंकी खंडवा जेल से भागे थे जो इस वक्त देश के अलग-अलग राज्यों में फैल गये हैं।
- इस संगठन ने धन इकठ्ठा करने के लिये चेन्नई और पुणे में बैंकों में डाके डाले।
- सिमी की सबसे बड़ी समस्या है कि इसके पास लड़ाकों की कमी है।
- सिमी के पास बम बनाने वाला कोई एक्सपर्ट नहीं है। यह हर बार लो इंटेंसिटी वाले बम धमाके ही कर पाते हैं।
- जिस प्रकार के बम ये बनाते हैं, वो भले ही कम तीव्रता वाले होते हैं, लेकिन बहुत खतरनाक होते हैं।
- चेन्नई और पुणे में जिस प्रकार के टाइमर का इस्तेमाल इन लोगों ने किया, उसी से पता चलता है कि ये टाइमर के एक्सपर्ट नहीं हैं।
- सिमी के भागे हुए आतंकी जेल से फरार होने के बाद कभी एक साथ इकठ्ठा नहीं हुए।
- इनका मानना है कि अलग-अलग रहकर ही ये संगठन को मजबूत कर सकते हैं।