बाबरी विध्वंस केस पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार तक के लिए किया स्थगित
सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा कि क्या बाबरी विध्वंस के आरोपी रहे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत अन्य लोगों को इस मामले में मुकदमे का सामना करना होगा?
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के चुनावों के बाद एक बार फिर से रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला गरम हो गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मसले का हल आपसी बातचीत से निकाला जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता कर सकता है। वहीं दूसरी ओर आज यानी बुधवार को इस बात पर भी सुनवाई होनी थी कि क्या बाबरी मस्जिद को 1992 में गिराने के आरोपी रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत अन्य लोगों को इस मामले में हो रही सुनवाई के मुकदमे का सामना करना होगा? फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया है।
आपको बता दें कि इसी महीने में हुए एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह कह चुका है कि इस मामले में पहली नजर में इन नेताओं को आरोपों से बरी करना सही नहीं लगता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि सीबीआई को इस मामले में निचली अदालत की तरफ से लिए गए फैसले के खिलाफ समय से एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर करनी चाहिए थी। आपको बता दें कि निचली अदालत ने तकनीकी आधार पर इन सभी नेताओं को इस केस से बरी किया था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी थी। ये भी पढ़ें- यूपी: डिप्टी सीएम केशव का एक्शन, अपने इलाके में बंद कराये कत्लखाने
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि इस मामले में सभी 13 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश की चार्जशीट दाखिल करे। साथ ही कोर्ट ने बाबरी विध्वंस मामले में दो अलग-अलग अदालतों में हो रही सुनवाई पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि क्यों न रायबरेली में चल रहे बाबरी मस्जिद से जुड़े मामले की सुनवाई को लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाए? लखनऊ में इसी से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले ही चल रही है, इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट चाहती है कि दोनों मामलों को एक साथ सुना जाए। हालांकि, लालकृष्ण आडवाणी ने इसका यह कहते हुए विरोध किया था कि ऐसा होने पर 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा, जो काफी मुश्किल काम है।