पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान अगले हफ्ते कर सकता है चुनाव आयोग
चुनाव आयोग की ओर से तारीखों का ऐलान किए जाने से ज्यादा सियासी गलियारे में बीजेपी के चुनाव प्रचार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की जा रही घोषणाओं पर है।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीख जल्द ही घोषित हो सकती है। चुनाव आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनावों की घोषणा एक सप्ताह के अंदर की जा सकती है। माना जा रहा है कि संशोधित वोटर लिस्ट के प्रकाशित होने से पहले चुनाव आयोग तारीखों की घोषणा नहीं करना चाहता लेकिन हरहाल में इसकी घोषणा 31 दिसंबर से 4 जनवरी के बीच किए जाने की संभावना है। हालांकि इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कोई बयान सामने नहीं आया।
बीजेपी
के
लिए
है
बड़ा
मौका
चुनाव
आयोग
की
ओर
से
तारीखों
का
ऐलान
किए
जाने
से
ज्यादा
सियासी
गलियारे
में
बीजेपी
के
चुनाव
प्रचार
और
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
की
ओर
से
की
जा
रही
घोषणाओं
पर
है।
राजनीतिक
गलियारों
में
चर्चा
है
कि
प्रधानमंत्री
मोदी
जल्द
ही
नोटबंदी
की
वजह
से
गरीब
तबके
को
हो
रही
परेशानी
के
उपाय
के
तौर
पर
कोई
बड़ी
घोषणा
करने
वाले
हैं।
यह
भी
काफी
दिलचस्प
होगा
कि
मोदी
की
ओर
से
की
जाने
वाली
घोषणा
चुनावी
आचार
संहिता
का
उल्लंघन
ना
करे।
इस
लिहाज
से
बीजेपी
के
लिए
2
जनवरी
को
लखनऊ
में
होने
वाली
प्रधानमंत्री
मोदी
की
रैली
चुनाव
अभियान
की
बेहतरीन
शुरुआत
हो
सकती
है।
पढ़ें: अरविंद केजरीवाल को अमरिंदर सिंह ने दी चुनौती, कहा- पंजाब में मेरे खिलाफ लड़ो चुनाव
एक
ही
चरण
में
हो
सकते
हैं
इन
राज्यों
में
चुनाव
सूत्रों
के
मुताबिक,
केंद्रीय
गृह
मंत्रालय
से
सुरक्षा
के
मुद्दे
पर
बातचीत
लगभग
पूरी
हो
चुकी
है
और
केंद्रीय
अर्धसैनिक
बलों
को
भेजने
की
योजना
भी
तैयार
है।
माना
जा
रहा
है
कि
चुनाव
फरवरी
में
शुरू
होंगे
और
मार्च
के
पहले
सप्ताह
में
खत्म
होंगे।
चुनाव
आयोग
पंजाब,
गोवा
और
मणिपुर
विधानसभा
के
18
मार्च
को
खत्म
हो
रहे
कार्यकाल
को
ध्यान
में
रखकर
तारीखों
का
ऐलान
करने
वाला
है।
गोवा,
मणिपुर,
उत्तराखंड
और
पंजाब
में
एक
ही
चरण
में
चुनाव
हो
सकता
है
जबकि
उत्तर
प्रदेश
मे
यह
कई
चरणों
में
होगा।
आपको
बता
दें
कि
उत्तर
प्रदेश
में
कुल
403
विधानसभा
सीटें
हैं।
आयोग
बोर्ड
की
परीक्षाओं
का
भी
इन
चुनाव
से
पहले
विशेष
ख्याल
रख
रहा
है।
हाल
ही
में
यूपी
बोर्ड
ने
परीक्षा
का
कार्यक्रम
घोषित
कर
दिया
था
जिसके
बाद
आयोग
ने
इसे
रद्द
करते
हुए
निर्देश
जारी
किया
था
कि
बिना
उसकी
अनुमति
के
परीक्षा
की
तारीख
का
ऐलान
नहीं
किया
जाए।