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संसद के शीतकालीन सत्र में असहिष्णुता और सेक्युलरिज्म पर छिड़ा घमासान

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नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान दिवस के मौके पर संसद में चल रही संविधान पर बहस सेक्युलर और असहिष्णुता पर सिमट कर रह गयी है। सत्ता दल और विपक्षी पार्टियां एक दूसरे पर असहिष्णुता के मुद्दे पर जमकर हमला बोल रहे हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सत्र के दूसरे दिन बोलते हुए कहा कि सरकार का कोई धर्म नहीं होता है और सरकार संविधान से चलती है।

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जेटली ने असहिष्णुता के मौके पर जवाब देते हुए सदन में कहा कि जब देश में आपातकाल लागू किया गया था उस वक्त देश में असहिष्णुता थी। यही नहीं जेटली ने इशारों-इशारों में इंदिरा गांधी की तुलना जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर तक से कर डाली। आपको बता दें कि कल सोनिया गांधी ने कहा था कि जिन लोगों का संविधान निर्माण में कोई योगदान नहीं है वो संविधान की माला जप रहे हैं।

जिसके जवाब में जेटली ने कहा संविधान बनने के छह साल बाद मेरा जन्म हुआ था लेकिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी उस सभा में मौजूद थे और मैं उनकी ही पार्टी से आता हूं। उधर जेटली के भाषण के बाद विपक्षा के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा बाबा साहब के कंधे पर बंदूकर रखकर लोग अपना निशाना साध रहे हैं।

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English summary
Arun Jaitley indirectly compares Indira Gandhi with Hitler in his speech in Rajya Sabha. He says what was the condition of India at the time if Emergency.
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