श्रद्धांजलि- कॉमन मैन के राष्ट्रपति थे कलाम साहब
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। एपीजे अब्दुल कलाम के निधन के साथ ही देश ने एक कॉमन मैन के राष्ट्रपति को खो दिया। वे जब देश के राष्ट्रपति नहीं भी रहे तब भी वे कॉमन मैन के साथ जुड़े रहे। सेमिनारों में जाने से लेकर छात्र-छात्राओं के साथ उनका संपर्क बना रहा।
वे बेहद ज्ञानी किस्म के शख्स थे। विदेशों में भी उनके ज्ञान का लोहा लोग मानते थे। मुझे याद साल 2007 में बांगलादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री खालिदा जिया भारत आई हुईं थी। वे कलाम साहब से मिलने गईं राष्ट्रपति भवन में।
यादगार भेंट
वहां पर कलाम साहब ने उनके सामने पॉवर पाइंट प्रेजेन्टेशन रखा। जिसमें बताया गया था कि साउथ एशिया किस तरह से चौतरफा विकास कर सकता है।
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खालिदा उनसे मुलाकात के बाद फिक्की भवन पहुंची। वहां पर उनका कार्यक्रम था। तब उन्होंने अपनी कलाम साहब से मुलाकात के बारे में बताया। खालिदा जिया ने बताया था कि उन्होंने अपने जीवन में इतने ज्ञानी लोग बहुत कम देखे हैं।
हमेशा एक्टिव रहे
सबसे बड़ी बात ये है कि कलाम साहब राष्ट्रपति भवन से बाहर जाने के बाद भी सार्वजनिक जीवन में एक्टिव रहे। वे लोगों से मिलते-जुलते। कुछ समय पहले वे रीषिकेश गए थे सीमा डेंटल कालेज के एक कार्यक्रम में। वहां पर कालेज के चेयरमेन डा. आर.के.गुप्ता से लेकर कालेज के अदने से कर्मियों से भी मिले। उनसे बात की।
संत प्रवृति
वे संत प्रवृति के थे। उनमें पद या पैसा को लेकर कोई लालच नहीं था। वे तो सिर्फ भारत को हर क्षेत्र में सबल और समृद्ध होते देखना चाहते थे। बेशक, उनके निधन से देश को भारी क्षति हुई हैं।