APJ अब्दुल कलाम - एक सोच और सोच कभी मरती नहीं
कलाम साहब... क्या कलाम कभी मरते हैं? कलाम है क्या? कलाम एक उम्मीद है जिसने समंदर की लहरो को गिनना सीखा दिया। सपनों को सच करना सिखा दिया। कुछ भी असंभव नहीं ये सोचना सिखा दिया। जो देश सपेरों का देश था, जहाँ की औरतें चूल्हे के धुएं में अपनी ज़िन्दगी खो चुकी थीं, कलाम ने उन सपेरों को आज पूरी दुनिया में गर्व से माथा ऊँचा कर जीना सीखा दिया। और जो औरतें चूल्हे के धुएं में ग़ुम थीं, उसी चूल्हे के धुंए को स्याही बनाकर आसमान पर नई इबारत लिखना सीखा दिया।
सपने हर कोई देखता है, लेकिन सपनों को जीना हर किसी के बस की बात नहीं, कलाम साहब ने जो सपने बचपन में अपने मुफलसि के दिनों में समंदर के किनारे बैठकर देखे उन्हें पूरा किया। ये देश अलग ही है, यहाँ की माटी.. यहाँ का पानी अलग है। जहाँ हर पांच कोस पर बोली बदल जाती है, हर 10 कोस पर कहानियां भी बदल जाती हैं, ऐसा नहीं है की भारत में अब कलाम नहीं है.. कलाम है, लेकिन बस उसे खोजने की जरुरत है, उसे तलाश कर तराशने की ज़रूरत है।
हर गली में कलाम है। उसके सपनों को नई उड़ान नए पंख देने की ज़रूरत है। कलाम साहब का सपना था 2020 के भारत बनाने को एक ऐसा देश बनाने का जो शिक्षा, स्वास्थय, विज्ञान, कृषि सबमें आगे हो। लेकिन क्या आज का युवा उनके सपने को साकार करने के लिए आगे बढ़ेगा। आज हर किसी के दिल में एक आह है कलाम के जाने की, लेकिन क्या आज का युवा अपने भीतर छिपे कलाम को ढूढ़ पायेगा? कलाम बनना कोई आसान काम नहीं, लेकिन असंभव भी नहीं! बस ज़रूरत है उसे अपने भीतर से बाहर लाने की।
कलाम साहब को सिर्फ मिसाइल मैन के रूप में देखना अन्याय होगा। वो तो आपसी भाईचारे की ज़िंदा मिसाल थे। जो सुबह गीता पढ़ते थे तो शाम को कुरान की आयतो में अपने आप को रमा लेते थे। आज कलाम साहब हमारे बीच नहीं हैं। मैने राष्ट्रपिता को नहीं देखा, लेकिन मेरा सौभागय है कि मैने राष्ट्रनिर्माता को देखा।
आज हमें सबसे ज्यादा ज़रूरत है, तो उनके आदर्शों की, उनकी सोच की... आओ आज ये संकल्प भी लें की कलाम साहब को हम जाने नहीं देंगे। उन्हें ज़िंदा रखेंगे हर इंसान में, हर आस में हर उम्मीद में...क्योंकि कलाम साहब तो एक सोच है और सोच कभी मरती नहीं।