दिवाली दिल्ली से बाहर मनाकर नए रिवायत शुरू की मोदी ने
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहले कभी किसी प्रधानमंत्री ने दिवाली राजधानी से बाहर जाकर मनाई हो याद नहीं आता। पंडित नेहरु, शास्त्री जी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिंह राव वगैरह सभी प्रधानमंत्री राजधानी में दिवाली वाले दिन रहना पसंद करते थे। इस लिहाज से मोदी ने एक नई रिवायत की शुरूआत की।
इस बीच, उनकी कश्मीर यात्रा का विरोध भी चालू हो गया है। यह बात समझ से परे है कि अगर प्रधानमंत्री जम्मू कश्मीर में दीपावली मनाने गए हैं तो इसमें गलत क्या है। जो राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं, इसे हल्की राजनीति बता रहे हैं, दरअसल गलती वे कर रहे हैं।
पीएम
कोई
कहीं
भी
जाने
का
अधिकार
वरिष्ठ
लेखक
अवधेश
कुमार
कहते
हैं,
सबसे
पहली
बात
यह
कि
मोदी
ही
नहीं
कोई
भी
प्रधानमंत्री
देश
के
किसी
कोने
में
अपने
उत्सव
मनाने
जा
सकता
है,
जाना
भी
चाहिए
और
उस
पर
प्रश्न
उठाना
अनौचित्यपूर्ण
माना
जाएगा।
बहरहाल,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पार्टी की विचारधारा से यदि आपका विरोध हो तो उसमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन जो भूमिका देश के हित में, हमारी एकता अखंडता के हित में है उसका देशव्यापी समर्थन होना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी भीषण बाढ़ के दौरान भी वहां गए थे और वायदा किया था कि मैं दोबारा आऊंगा। प्रदेश में चुनाव है और भाजपा एक पार्टी होने के नाते वहां भी जीत चाहेगी। लेकिन इस कार्यक्रम को केवल चुनाव से जोड़कर देखना इसके महत्व को घटा देगा। कश्मीर का मामला पूरे देश क लिए नासूर बन गया है। इस समय वैसे भी सीमा पार से गोलीबारी, पाकिस्तान के नेताओं में कश्मीर को लेकर आग उगलने की मारक प्रतिस्पर्धा, अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे ले जाने की असफल कोशिश तथा पाक की गुलामी में फंसे कश्मीर में विद्रोह की स्थिति है।
प्रधानमंत्री ने सियाचिन जैसे जटिल स्थान से अपनी यात्रा की शुरुआत कर वहां के सैनिकों का आत्मबल बढ़ाया और पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को भी मुखर संदेश दिया है कि हम अपने रुख पर संकल्पबद्ध हैं और आप शांति चाहें तो सही नहीं तो हमारा राजनीतिक नेतृत्व आगे बढ़कर जवाब देने का रास्ता बना चुका