इंटरनेट पर सेंसरशिप की तैयारी में मोदी सरकार, 32 URL को ब्लॉक करने का फैसला
बेंगलुरु। केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार जो कि पिछली सरकार की तुलना में काफी टेक सेवी मानी जाती है, उसने 32 यूआरएल को ब्लॉक करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि केंद्र में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की ओर से जब कुछ साइट्स पर सख्ती करने का फैसला किया था तो उसकी खूब आलोचना हुई थी।
कुछ लोगों ने तो यहां तक कह डाला था कि सरकार अब इंटरनेट पर सेंसरशिप लाने की तैयारी में है। लेकिन अब मोदी सरकार की ओर से यह कदम उठाने की तैयारी है तो उस पर भी सवाल उठने लाजिमी हैं।
सरकार के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार का यह कदम सही है। वनइंडिया ने देश के मशहूर साइबर लॉ एक्सपर्ट्स में से एक पवन दुग्गल से बात की और उनसे इस मसले पर जानकारी लेने की कोशिश की।
चीन की बराबरी नहीं कर सकता भारत
पवन दुग्गल के मुताबिक भारत में चीन की तर्ज पर इंटरनेट पर सेंसरशिप नहीं लगा सकता है। चीन में इंटरनेट पर लगी सेंसरशिप को ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना के नाम से जाना जाता है। भारत का संविधान इंटरनेट पर सख्त होने की इजाजत नहीं देता है।
क्या कहता है संविधान
भारतीय संविधान का पार्ट 3 देश के नागरिकों के लिए सभी मौलिक अधिकारों की वकालत करता है। इसमें नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बोलने की आजादी दी गई है। संविधान के आर्टिकल 19 (1) के तहत ही वेबसाइट बनाने और कुछ कहने की आजादी दी गई है।
साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल की मानें तो दूसरे मौलिक अधिकारों से अलग इंटरनेट पर अधिकार पूर्ण रूप से नहीं है और कुछ पाबंदियों के साथ इसे लोगों को दिया गया है। इंटरनेट को संप्रभुता, मैत्री पूर्ण रिश्ते, एकता और सार्वजनिक शांति के मकसद से दिया गया है।
इनके खिलाफ काम करना एक अपराध माना जाता है। इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत सेक्शन 69 (ए) के तहत कुछ जरूरी पाबंदियों के साथ साइट्स को ब्लॉक करना उचित है।
क्यों ब्लॉक होंगे 32 यूआरएल
पवन दुग्गल की मानें तो इस बात की कोई भी जानकारी नहीं है कि सरकार की ओर से 32 यूआरएल को ब्लॉक करने की अधिसूचना क्यों जारी की गई है। साइबर लॉ के महारथी पवन दुग्गल की मानें तो सिर्फ दो साइट्स ऐसी हैं जिन्हें ब्लॉक करने के बाद उनका ध्यान उन पर गया।
एक तो आर्काइव.ओआरजी और वीमियो। पवन दुग्गल के मुताबिक सरकार की ओर से जारी सर्कुलर साइट्स को ब्लॉक करने के पीछे की मंशा के बारे में कुछ नहीं कहता है लेकिन इससे साफ पता लगता है कि सरकार का ध्यान साइट्स को ब्लॉक करने और इंटरनेट पर सेंसरशिप लाने की ओर है।
पुराना है साइट्स को ब्लॉक करना
पवन दुग्गल के मुताबिक साइट्स को ब्लॉक करना पहले ही पुराना हो चुका है क्योंकि अब इंटरनेट पर कई ऐसे विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी ब्लॉक वेबसाइट को एक्सेस करना बहुत ही संभव है और आसान भी है। ब्लॉक वेबसाइट का एक्सेस हासिल करने की कोशिशें इतनी तेजी से बढ़ जाती हैं कि इंटरनेट का ट्रैफिक उस साइट पर दोगुना तक हो जाता है।
बड़ी चुनौतियों से निबटने की जरूरत
पवन दुग्गल के मुताबिक सरकार को साइट्स को ब्लॉक करने की बजाय और बड़ी चुनौतियों पर ध्यान देने की जरूरत है। उनका कहना है कि अब जब देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तो सरकार को साइबर क्राइम पर सख्ती बरतने की भी जरूरत है। उन्होंने बताया कि सरकार को यह संदेश देना होगा कि देश साइबर क्राइम को लेकर काफी सख्त है और वह इसे बिल्कुल सहन नहीं करेगा।