अल्फा-3 मुंबई हमलों की तरह कश्मीर के लिए पाक सेना का कंट्रोल रूम
कश्मीर को सुलगाने के लिए पाकिस्तान सेना और लश्कर-ए-तैयबा ने सेट किया था एक कंट्रोल रूम। इस कंट्रोल रूम से उपद्रवियों को दिए जा रहे थे आदेश।
श्रीनगर। आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में अशांति का सिलसिला जा रही है। स्कूल जलाए जा रहे हैं, सेना पर हमले हो रहे हैं और कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा चुका है और कई की तैयारी चल रही है।
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हैरानी की बात है ये सारे घटनाक्रम एक-एक करके उस समय सामने आए जब पाकिस्तान सेना के मुखिया जनरल राहील शरीफ के रिटायरमेंट में बस कुछ ही दिन बचे हैं।
पाक सेना और आतंकियों की मिलीभगत अल्फा-3
किसी को भी इस बात को जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि इन सबके पीछे पाक सेना और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सबसे बड़ा रोल है। कश्मीर में फैली अशांति को लेकर जो जांच हुई है उसमें यह बात सामने आई है।
इस जांच के मुताबिक पाकिस्तान सेना और लश्कर ने अल्फा-3 नामक एक कंट्रोल रूम बनाया गया था। इसका मकसद सिर्फ कश्मीर के हालातों को बिगाड़ना ही था।
कश्मीर के हालातों पर जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम बनाई गई है जो जांच में लगी हुई है।
इस जांच में ही यह बात सामने आई है कि अल्फा-3 नामक कंट्रोल रूम पीओके स्थित मुजफ्फराबाद से संचालित हो रहा था। इसके जरिए ही घाटी के हालातों की डोर आतंकियों और पाक सेना ने अपने हाथ में ले रखी थी।
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एनआईए के पास पूरे सुबूत
एनआई के पास इस बात को साबित करने के कई सुबूत हैं कि अल्फा-3 को लश्कर और पाक सेना मिलकर ऑपरेट कर रही थी।
जम्मू कश्मीर में विद्रोहियों के हर कदम को देखा जा रहा था और कंट्रोल रूम से आतंकी और सेना बराबर नजर रख रही थी। एनआईए ने लश्कर के एक आतंकी बहादुर अली को कुछ माह पहले गिरफ्तार किया था।
बहादुर
अली
ने
भी
लश्कर
और
पाक
सेना
के
कश्मीर
से
जुड़े
खास
ऑपरेशन
के
बारे
में
कई
अहम
जानकारियां
दी
थीं।
बहादुरी
अली
ने
खासतौर
पर
घाटी
में
अशांति
के
बारे
में
बात
की
थी
और
बताया
था
कि
कैसे
एक
कंट्रोल
रूम
को
नियंत्रित
किया
जा
रहा
था।
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लश्कर के आतंकी ने खोली पोल
बहादुरी अली को लश्कर ने घाटी में भेजा था और उसका मकसद विरोधियों की आड़ में छिपकर ग्रेनेड से हमला करना था।अशांति के दौरान कश्मीर ने कई ऐसे घटनाक्रम देखे जिसमें बड़ी संख्या में विरोधियों ने सुरक्षबलों पर पथराव किया था।
आतंकियों को घाटी में भेजा गया ताकि वह विरोधियों के पीछे छिप कर सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड फेंक सकें। यह बात बहादुरी अली ने खुद कुबूल की थी।
12 मिनट के वीडियो में सारा सच
अली का 12 मिनट का एक वीडियो भी आया था जिसमें उसे कई अहम बातों को कुबूल किया था। अली ने बताया था कि उसे टोपोग्राफी शीट दी गई थी, जीपीएस और ग्रिड रेफरेंसेज मुहैया कराए गए। एनआईए जल्द ही इस सिलसिले में एक चार्जशीट दायर करने की तैयारी में है।