हाईकोर्ट के डंडे के बाद अब बोलने की आजादी में लगेगी 'लगाम'
लखनऊ। सियासत में जंग की खातिर मामला कोई भी हो, मुद्दे की शक्ल सियासतदां की जुबां ही देती है। बहरहाल बीजेपी-बसपा नेताओं की बद्जुबानी पर हाईकोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा- बोलने की आजादी के अधिकार की सीमाएं क्या होनी चाहिए, इसे हम तय करेंगे।
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भाषा की सीमाएं होंगी तय
न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक बयानबाजी अलग चीज है लेकिन जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है, उसे देखते हुए बोलने की आजादी के अधिकार की सीमाएं तय की जाएंगी। जो कि एक सभ्य लोकतांत्रिक समाज के लिए उपयुक्त हों।
पीआईएल पर सुनवाई के दौरान की मौखिक टिप्पणी
न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही और न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी की खंडपीठ ने इस मामले में दायर एक पीआईएल पर सुनवाई के दौरान खुली अदालत में बीते बुधवार को यह मौखिक टिप्पणी की।
ममता जिंदल ने दायर की थी पीआईएल
सामाजिक कार्यकर्ता ममता जिंदल ने पीआईएल दायर कर आरोप लगाया है कि 21 जुलाई को हजरतगंज जैसे बिजी एरिया में बगैर इजाजत बसपा नेताओं ने दयाशंकर प्रकरण को लेकर जिस तरह से विरोध प्रदर्शन किया, वो न्याय की मंशा के खिलाफ था।
कार्यवाही की हुई मांग, आदेश सुरक्षित
अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ ममता जिंदल ने कार्रवाई की मांग की साथ ही जिम्मेदार जिला प्रशासन के अफसर कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गुजारिश भी की।