जानिए भारत रत्न को मिलती हैं कौन-कौन सी सुविधाएं, कैसा होता है पुरस्कार
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन से एक दिन पहले उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से विभूषित किए जाने की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, "राष्ट्रपति को पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को 'भारत रत्न' से सम्मानित कर खुशी हो रही है।"
भारत रत्न पाने वालों को अहम सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए न्यौता मिलता है। सरकार वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस में उन्हें जगह देती है। जिन्हें भारत रत्न मिलता है, उन्हें प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है।
उल्लेखनीय है कि वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है। राज्य सरकारें भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। मसलन दिल्ली सरकार डीटीसी बसों में उन्हें मुफ़्त सफर करने की सुविधा देती है। इसके अलावा भारत रत्न से सम्मानित होने वाले अपने विजिटिंग कार्ड पर 'राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित' या 'भारत रत्न प्राप्तकर्ता' लिख सकते हैं
कैसा होता है भारत रत्न
भारत रत्न एक तांबे के बने पीपल के पत्ते जैसा होता है, जो 59 मिमी लंबा, 48 मिमी चौड़ा और 3 मिमी मोटा होता है। इसमें सामने की तरफ प्लेटिनम से सूरज का चित्र बना होता है। पूरे रत्न की किनारी को प्लेटिनम से बनाया जाता है। भारत रत्न के सामने की तरफ सूरज के चिह्न के साथ हिन्दी में 'भारत रत्न' लिखा होता है। इसके पीछे की तरफ अशोक स्तम्भ का चिह्न बना होता है और साथ में 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है।
इसके साथ ही एक सफेद रंग का रिबन भी लगा होता है, ताकि इसे आसानी से गले में पहना जा सके। 1954 में भारत रत्न 35 मिमी का एक गोल सोने का मेडल था, जिस पर चमकते सूरज के चिह्न के साथ 'भारत रत्न' लिखा होता था और पीछे की तरफ अशोक स्तंभ के साथ 'सत्यमेव जयते' लिखा होता था। हालांकि, इसके साल भर बाद ही इसका डिजाइन बदल दिया गया था।