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भारत में बहुत बड़ा है मांस का कारोबार, यूपी सबसे बड़ा उत्पादक

भारत में मांस के कारोबार के बारे में हर वह जानकारी जो आपके लिए है जरूरी, अकेले उत्तर प्रदेश में 50 फीसदी मांस का होता है उत्पादन

By Ankur
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अपने चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने सभी अवैध बूचड़खानों को बंद करने की बात कही थी। यूपी में गाय और बैल को काटने पर पाबंदी है लेकिन प्रदेश में भैस को काटने पर पाबंदी नहीं है। जिस तरह से प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अवैध बूचड़खानों पर हमला बोला है उसके बाद यह समझने की जरूरत है प्रदेश में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। भारत में मांस का उद्योग कुल 15000 करोड़ रुपए का है और इसपर कुल 25 लाख लोग निर्भर हैं।

कैसे मिलता है बूचड़खानों को लाइसेंस

कैसे मिलता है बूचड़खानों को लाइसेंस

यूपी में बूचड़खाना चलाने के लिए एक यूनिट लगाने के बाद उसके लिए यूपी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से इजाजत लेनी पड़ती है जिसके बाद यह शहर के डीएम के पास क्लीयरेंस के लिए जाती है। इसके बाद डीएम इस आवेदन को एक पैनल के पास भेजा जाता है जो यूनिट का निरीक्षण करती है। इसके बाद यहां प्रदूषण विभाग की ओर से भी निरीक्षण किया जाता है, जिसेक बाद अगर एनओसी मिलती है तो एपीईडीए के पास इस आवेदन को भेजा जाता है जो केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है, इन सबगों से क्लीयरेंस मिलने के बाद बूचड़खाने को लाइसेंस दिया जाता है।

देशभर में कुल 72 बूचड़खाने, अकेले यूपी में 38

देशभर में कुल 72 बूचड़खाने, अकेले यूपी में 38

देशभर में कुल 72 बूचड़खाने हैं जिसे लाइसेंस प्राप्त हैं जिसमें से अकेले यूपी में 38 बूचड़खाने हैं, इसमें 4 बूचड़खाने ऐसे भी हैं जिसे सरकार खुद चलाती है, जोकि आगरा, सहारनपुर में है। वहीं दो अन्य प्रस्तावित बूचड़खाने लखनऊ और बरेली में है। अलीगढ़ में हिंद एग्रो आईएमपीपी पहला बूचड़खाना है जिसे 1996 में शुरु किया गया था। यहां यह समझने वाली बात यह है कि खाड़ी के देशों में भैंस के मांस की काफी मांग है और भारत इसके लिए सबसे कारगर देश है, इसकी सबसे बड़ी वजह है कि यहां सस्ता मांस मिलता है और विक्रेता को इस बात का भरोसा मिलता है कि उसे हलाल मांस ही दिया जा रहा है। इसी के चलते यूपी में अवैध बूचड़खाने काफी ज्यादा पनपे हैं।

क्या है जानवरों को काटने का नियम

क्या है जानवरों को काटने का नियम

औसतन हर रोज 300 से 3000 जानवरों को बूचड़खाने में काटा जाता है, यह इस बात पर निर्भर करता है बूचड़खाने की सीमा कितनी है। एक भैंस की औसत कीमत 20000 रुपए होती है और एक बूचड़खाने को शुरु करने के लिए 10 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है और इसे शुरु करने में तकरीबन 40-50 करोड़ रुपए का खर्च होता है। बूचड़खानों में सांड को तभी काटने की इजाजत होती है जब या तो वह 15 साल से अधिक का हो या फिर वह बीमार हो।

काफी बड़ा है यह उद्योग

काफी बड़ा है यह उद्योग

मांस निर्यात में उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, इसमे अवैध बूचड़खानों का आंकड़ा शामिल नहीं है, औसतन यहां 140 बूचड़खाने चलते हैं, इसके साथ ही 50 हजार अवैध मीट की दुकानें भी चलती हैं। एपीईडीए के आंकड़ों के अनुसार यूपी में सबसे अधिक 19.1 फीसदी मांस निर्यात करता है, जबकि आंध्र प्रदेश 15.2 फीसदी, पश्चिम बंगाल 10.9 फीसदी मांस निर्यात करता है। 20008-09 से 2014-15 के आंकड़ों के अनुसार कुल 7515.14 लाख किलोग्राम भैंस का मांस, 1171.64 लाख किलोग्राम बकरे का मांस, 230.99 लाख किलोग्राम मांस भेड़ का और 1410.32 लाख किलोग्राम सुअर का मांस निर्यात किया गया है।

केंद्र सरकार कैसे नियंत्रित करता है मांस के उद्योग को

केंद्र सरकार कैसे नियंत्रित करता है मांस के उद्योग को

केंद्र सरकार हमेशा से ही इस उद्योग को बढ़ावा देती आई है, केंद्र सरकार बूचड़खानों को लगाने के लिए 50 फीसदी मदद यूनिट लगाने में देती है। उत्तर प्रदेश भारत के तकरीबन 50 फीसदी मांस का उत्पादन करता है, देश में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कुल 25 लाख लाख लोग इस उद्योग से जुड़े हुए हैं।

कैसे प्रभावित करेगा प्रतिबंध

कैसे प्रभावित करेगा प्रतिबंध

आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष कुल 26685 करोड़ रुपए का मांस हर वर्ष निर्यात किया जाता है। ऑल इंडिया मीट एंड लिवस्टॉक एक्सपोर्टर के आंकड़ों के अनुसार प्रतिबंध लगाने से 11350 करोड़ रुपए का प्रदेश को नुकसान होगा। अगर अगले पांच साल तक प्रतिबंध लागू रहा तो तो रकार को 5600 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। 2015-16 में यूपी ने कुल 564958.20 मीट्रिक डन भैंस का मांस निर्यात किया था।

क्या कहता है कानून

क्या कहता है कानून

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सभी राज्यों को इस बात का निर्देश दिया कि सभी राज्य सरकारें एक कमेटी बनाए और सभी बूचड़खानों को उस जगह पर स्थानांतरित करें और जरूरी मानकों का पालन किया जाए। यूपी नगर निगम के एक्ट 1959 के अनुसार इन नगर निगम पर इस बात की जम्मेदारी होगी कि वह लोगों बेहतर मांस प्राप्त हो और इसके साथ ही इनकी कार्यप्रणाली पर नजर रखें। इसके अलावा नगर निगम पर इस बात की भी जिम्मेदारी होगी कि वह प्राइवेट बूचड़खानों में पशुओं की बिक्री पर भी नजर रखे।

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English summary
All you need to know about the meat industry in India and how UP is a key player. UP alone produces almost 50 percent of the meet.
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