चाचा शिवपाल से निपटने के लिए अखिलेश का मास्टर प्लान
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में जिस तरह से अंदरूनी कलह ने हाल के दिनों में पार्टी की काफी फजीहत की, उसमें अखिलेश यादव को अपने कई फैसलों को नेताजी के दबाव में वापस लेना पड़ा था। लेकिन इन सब विवादों के बीच अखिलेश ने अपनी ताकत को बढ़ाने की तैयारियां शुरु कर दी हैं।
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जिस वक्त अखिलेश यादव से प्रदेश सपा अध्यक्ष का प्रभार वापस लिया गया था और शिवपाल सिंह यादव को प्रदेश का चुनावी प्रभारी बनाया गया था तो इसके विरोध में सैकड़ो युवा संगठन के कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया था।
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चाचा ने कर दी थी भतीजे के समर्थकों की छुट्टी
शिवपाल यादव ने कई युवा नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था और उनपर कई साल की पाबंदी भी लगा दी थी, जिन्होंने चाचा-भतीजे के बीच विवाद के समय उनके खिलाफ नारे लगाए थे। हालांकि इस पूरे विवाद में अखिलेश यादव ने युवा नेताओं से अपील की थी कि वह इस्तीफा नहीं दे, लकिन वह इस परिस्थिति से निपटने की योजना भी पर्दे के पीछे बना रहे थे।
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बगावती नेताओं को अखिलेश ने दिया नया ठिकाना
उन तमाम अखिलेश समर्थक जिन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था उनको एकजुट करने के लिए अखिलेश यादव पूरी कोशिश में जुटे थे और वह आखिरकार खुलकर सामने आ गई है। अखिलेश ने अपने समर्थकों के लिए जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट का उद्घाटन किया है जहां उनके समर्थक आगामी चुनाव में उनके लिए अहम हथियार बनेंगे।
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कई अखिलेश समर्थक रहे मौजूद
इस मौके पर पार्टी के कई मत्री अहमद हसन, राजेन्द्र चैधरी, रामगोविन्द चैधरी, शिवाकान्त ओझा, डा0 एस0पी0 यादव, अरविन्द कुमार सिंह गोप, राममूर्ति वर्मा, अभिषेक मिश्र, पवन पाण्डेय, एम0एल0सी0 एस0आर0एस0 यादव, नरेश उत्तम, सुनील सिंह यादव साजन, डा0 राजपाल कश्यप, अरविन्द सिंह, राजेश यादव, संतोष यादव सनी, विधायक इरफान सोलंकी, जगराम पासवान, वसीम अहमद, संग्राम यादव, अरुण वर्मा, नागेन्द्र यादव, सहित युवा नेता अनुराग यादव, अमिताभ बाजपेयी, नफीस अहमद, गौरव दुबे, नईमुल हसन, पी0डी0 तिवारी, प्रदीप तिवारी, ब्रजेश यादव, दिग्विजय सिंह देव और विजय यादव, रामसागर यादव, डा0 इमरान, चन्द्रिका पाल, जरीना उस्मानी, गीता सिंह, डा0 अरुण, स्व0 मिश्र की बेटी मीना तिवारी, फरहाना, रचना राधा यादव आदि मौजूद रहे।
इस ट्रस्ट को खुद अखिलेश यादव ने बनाया था
यह नया कार्यालय समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय के बगल कालीदास मार्ग पर बना है। अखिलेश यादव ने खुद इस ट्रस्ट की स्थापना 2013 में की थी और वह इसके अध्यक्ष भी हैं।
शिवपाल नदारद रहे इस बैठक से
यहां गौर करने वाली बात यह है कि शिवपाल सिंह यादव जेनेश्वर मिश्रा से संबंधित कार्यक्रम में उपस्थित रहते हैं लेकिन वह इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे। ऐसे में इस ट्रस्ट को शिवपाल के विरोधियों का गढ़ भी कहा जा सकता है।
यह ट्रस्ट बनेगा वार रूम
पार्टी से निष्कासित एक नेता का कहना है कि यह ट्रस्ट 2017 के चुनाव में अखिलेश यादव का वार रूम बनेगा और यहीं से पार्टी की जीत की इबारत लिखी जाएगी। सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव ने इस दौरान एक बैठक भी की जिसमें उन्होंने ट्रस्ट के सदस्यों की संख्या बढ़ाने को भी कहा है। अभी तक इस ट्रस्ट की बैठक मुख्यमंत्री आवास, सपा के हेडक्वार्टर या राम मनोहर लोहिया ट्रस्ट के ऑफिस में होती थी। इस ट्रस्ट का अभी तक कोई स्थाई कार्यालय नहीं था।
अखिलेश के लिए काम करेंगे निष्कासित नेता
युवा नेता आनंद भदौरिया ने कहा कि उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया है लेकिन वह पार्टी के समर्थक के तौर पर काम करते रहेंगे। बहरहाल देखने वाली बात यह है कि जिस तरह से पार्टी के भीतर चाचा-भतीजे के बीच कलह खुलकर सामने आई थी। इन सब के बीच अखिलेश यादव अपनी युवा सेना के साथ क्या एक बार फिर से सपा की साइकिल की रफ्तार को बढ़ा सकते हैं।