नोटबैन का असर: दूध, दवा, सब्जी की हो सकती है भारी किल्लत
ट्रांसपोर्टरों की संस्था ने कहा, पैसा नहीं है इसलिए सामान से लदे ट्रक सड़कों पर खड़े हैं।
नई दिल्ली। ट्रांसपोर्टरों की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के अनुसार, 1000 और 500 के नोट बंद होने के बाद बाजार में कैश की भारी कमी होने से ट्रक रास्तों में रुके हुए हैं। संस्था का कहना है कि हालात नहीं सुधरे तो देश में दूध, सब्जी और दवाओं जैसी जरूरी चीजों की कमी हो सकती है।
एआईएमटीसी के अनुसार, देश के विभिन्न हिस्सों में राजमार्गों पर करीब चार लाख ट्रक फंसे पड़े हैं। एआईएमटीसी ने सरकार से अपील की है कि जल्दी से एटीएम और बैंकों से नकद निकासी की सीमा बढ़ाई जाए और कैश पर्याप्त मात्रा में बैंकों तक पहुंचाया जाए।
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एआईएमटीसी के अध्यक्ष भीम वाधवा ने कहा है हालात ऐसे ही रहे तो दूध, सब्जियों, फलों और दवाओं की आपूर्ति बाधित हो जाएगी। जिससे देश की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
वाधवा ने बताया है कि ट्रकों के चालक और कंडक्टर इस फैसले से बुरी तरह से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि ट्रक सड़क किनारे खड़े हैं जबकि ड्राइवर बैंकों और एटीएम के बाहर लाइन लगाने को मजबूर हैं। वाधवा ने कहा कि कैश की भारी किल्लत ने ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को बुरी तरह से प्रभावित किया है।
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सड़क परिवहन से हर रोज होता है 1492 करोड़ का व्यापार
एआईएमटीसी ने बताया है कि 93 लाख ट्रक ड्राइवर और 50 लाख बसें व टैक्सी संचालक उसके सदस्य हैं। संस्था ने कहा है कि 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने से कम से कम आठ लाख ड्राइवर और कंडक्टर बुरी तरह प्रभावित हैं।
एआईएमटीसी ने कहा है कि परिवहन रुकने से किस तरह से देश पर असर होगा इसका अंदाजा लगाने को सड़क परविहन का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान को देख सकते हैं।
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संस्था का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में सड़क परिवहन का योगदान 4.8 फीसदी थी, जो 5,44,800 करोड़ रुपये सालाना और 1,492 करोड़ प्रति दिन होता है।
संस्था ने कहा कि ट्रांसपोर्ट का 80 फीसदी काम कैश से होता है। इस तरह ट्रांसपोर्ट अपनी जगह ठीक-ठीक चलता रहे इसके लिए 1194 करोड़ रुपये कैश हर दिन चाहिए होता है।
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आपको जानकारी दे दें कि 8 नवंबर को पीएम मोदी ने 500 और 1000 को नोट पर अचानक ही पाबंदी का ऐलान कर दिया था। इसके बदले 500 के नए और 2000 के नोट जारी किए गए हैं।
नए नोट बाजार में पर्याप्त मात्रा में ना पहुंच पाने के चलते पिछले 9 दिन से देशभर में जनता को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। बैंकों के सामने लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं। 40 से ज्यादा मौतें भी पिछले 9 दिन में हो चुकी हैं, जिनका संबंध नोटबंदी से है।
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