'मैं अब अपने पति को किस कब्र में तलाश करूं'
श्रीनगर में भीड़ ने डीएसपी पंडित को पीट-पीटकर मार डाला, पढ़िए उनके परिवार की दर्दभरी दास्तां.
मोहम्मद अयूब पंडित. ये उन पुलिस अधिकारी का नाम है जो ख़ुदा की इबादत में लगे लोगों को महफ़ूज़ रखने की कोशिश में खुद उनकी बर्बरता का शिकार हो गए.
भीड़ ने उन्हें पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया. अब श्रीनगर के खानयार इलाक़े में डीएसपी पंडित के घर पर सन्नाटा पसरा है.
घर में सन्नाटा, आंखों में उदासी
उनकी पत्नी रोते बिलख़ते हुए कहती हैं, "अब मैं किस क़ब्र में और कहां-कहां उन्हें तलाश करने जाऊं."
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उनके आस-पास बैठी दर्जनों महिलाएं उन्हें दिलासा दे रही हैं, लेकिन पति की जुदाई में उनकी आंखों से बहते आंसू थम नहीं रहे हैं.
इस घर के एक कोने में डीएसपी पंडित का 27 वर्षीय बेटा दानिश बैठा है. घर के बाहर शामियाना लगा हुआ है. लोग मिलने आ रहे हैं. दानिश इन लोगों से मिल रहे हैं.
लेकिन दानिश की सहमी आंखें अपने पापा के लिए आंसू बहाना चाहती हैं. लेकिन उन्होंने जैसे आंसुओं को रोककर रखा है.
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कुछ घंटों पहले हुई थी आखिरी मुलाकात
मोहम्मद अयूब पंडित मौत से कुछ ही घंटों पहले ही अपने परिवारवालों से मिलकर गए थे. दानिश कहते हैं, "शाम के आठ बजे पापा ड्यूटी पर चले गए, और कहा कि हो सकता है कल आने में मुझे देर हो जाए. लेकिन क्या पता था कि हम ख़त्म हो जाएंगे."
शब-ए-क़दर की रात हत्या
54 साल के मोहम्मद अयूब को बीती गुरुवार रात को राजधानी श्रीनगर के नौहाटा इलाके में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के बाहर हिंसक भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला.
अयूब पंडित को जिस समय मारा गया उस समय वह पुलिस की वर्दी में नहीं थे. डीएसपी पंडित की हत्या शब-ए-क़दर को हुई जब पूरी दुनिया में मुसलमान पूरी-पूरी रात मस्जिदों में इबादत करते हैं.
अभी तक इस बात को लेकर विवाद है कि भीड़ ने किन परिस्थितियों में पंडित को मारा.
बताया ये जा रहा है कि जिस समय उन्हें भीड़ ने पकड़ा, वह मस्जिद के बाहर तस्वीरें उतार रहे थे. लेकिन परिजनों ने इस बात को मानने से इनकार किया है.
पंडित का घर उनकी हत्या की जगह से महज़ ढाई किलोमीटर दूर है.
परिवारवालों का कहना है वह आज पहली बार नौहटा ड्यूटी देने गए थे. जबकि नौहटा से पहले वह श्रीनगर के दूसरे इलाकों में ड्यूटी देते आए हैं.
डीएसपी पंडित के भाई गुलज़ार अहमद कहते हैं कि जिस पुलिस वाले की मौत की ख़बर सुनी, पता नहीं था कि वह मेरा भाई होगा.
उन्होंने कहा "मैं रात के डेढ़ बजे घर से बाहर निकला और सोचा कि बाहर देखें क्या हो रहा है. जब मैं बाहर निकला तो देखा तो कुछ लड़के सड़क पर थे. मुझे लगा यहां पत्थरबाज़ी हो रही है. इनमें से किसी ने मुझे कहा कि नौहटा में हालात बहुत ख़राब हैं, और वहां किसी पुलिस वाले को मारा गया है. क्या पता था कि वह मेरा भाई होगा?"
दानिश इस बात पर खामोश हैं कि पापा के हत्यारों के ख़िलाफ़ क्या सजा होनी चाहिए.
'बर्बरता से मारा गया'
वह बोले "मैं क्या कह सकता हूं, हमारा तो कुछ रहा नहीं." अपने पापा को याद करते हुए दानिश कहते हैं कि उनके पापा के साथ दोस्ताना संबंध थे.
डीएसपी पंडित के चचेरे भाई मोहम्मद अब्दुल्लाह कहते हैं कि जब वह लाश लेने पुलिस कंट्रोल रूम गए तो उन्हें कई मिनटों तक पहचान नहीं हुई की ये मोहम्मद अयूब पंडित हैं.
उनका कहना था "उन्हें बुरी तरह से मारा और पीटा गया था. मुझे लगता है कि उन्हें लोहे की रॉड से मारा गया था. उनके बदन पर बेशुमार ज़ख्म थे. मरने के बाद उनको नंगा छोड़ दिया गया था. चेहरा पहचाना नहीं जा रहा था. हमें उन्हें पहचाने में दो मिनट का समय लगा. उन्हें बर्बरता से मारा गया था."
इस मामले में पुलिस ने अभी तक पांच लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है. बीते चार महीनों में जम्मू-कश्मीर पुलिस के 16 जवान अब तक चरमपंथ हमलों में मारे गए हैं. लेकिन डीएसपी पंडित की जिस तरह हत्या हुई है, ऐसा कश्मीर में पहली बार हुआ है.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन और अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूख़ और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने पंडित की मौत को निंदनीय बताया है.
महबूबा मुफ़्ती ने ये भी कहा कि लोग पुलिस के सब्र का इम्तिहान न लें. पूर्व मुख्यमंत्री उम्र अब्दुल्लाह ने भी इस घटना की सख्त निंदा करते हुए कहा है जिन लोगों ने ये काम किया उन्हें अपने इन गुनाहों के लिए जहन्नुम की आग में जलना चाहिए.